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आखिर में हम बाबा कैलाश के डेरे पर पहुँच गए! वहाँ जाकर बाबा से मिले, पूनम को देखकर बाबा बहुत खुश हुए, अब जीवेश ने सारी बात बता दी बाबा को! वे बहुत खुश ...
अब वे मेरे कक्ष में आ गए! हम सभी साथ बैठे और चाय का लुत्फ़ उठाने लगे! साथ में गरमागरम पकौड़ियां भी खाते रहे! “बहुत दुःख उठाया है इस लड़की ने” शर्मा जी ...
जब कोई आधा घंटा हो गया तो शर्मा जी अपना फ़ोन ले आये पूनम के पास से! अब वो खुश थी! पहली बार मुस्कुरायी थी! उसको मुस्कुराते देख कर हम सबकी मेहनत सफल हो ग...
अब जीवेश ने भंजन-मंत्र का संधान किया! टूटे-फूटे बाबा से इतना भी नहीं हुआ कि वो रोये या चिल्लाये, बस हाथ हिलाकर मना करता रहा! अब जीवेश ने थूक दिया उस प...
“पूनम? चल खड़ी हो अब!” मैंने कहा, वो खड़ी हुई! सारे तथ्य मिलान कर गये थे! अब शक़ नहीं रहा था कोई, हम सच में ही उसके घर से आये थे! “आ जा!” मैंने कहा, ...
“चल, उस लड़की के पास चल!” नरना के सर पर हाथ मारते हुए जीवेश ने कहा, अब बाबा हिला और चलने लगा, उसी कल्लू बाबा का सहारा लिए हुए! हम उसके पीछे पीछे चले! व...
वे चारों बाबा अब उठ गए! और बाहर चले गए! शायद नरना बाबा ने इशारा कर दिया था उन्हें! अब रह गये हम चार और बाबा नरना वहाँ! मन तो किया कि साले को उठकर ...
“आगे” उसने कहा, “अच्छा जी” वो बोला. और तब वहाँ रिहाइशी क्षेत्र आ गया! कई कमरे बने थे वहाँ! कई चेले-चपाटे बैठे थे पेड़ के नीचे! सभी हमे ही देख रहे थ...
“यही जगह लगती है” मैंने कहा, आशीष ने उस जगह जाकर गाड़ी रोक दी! हम गाडी से बाहर निकले! ये जगह काफी बड़ी थी! पेड़ आदि लगे हुए थे, दीवारें भी काफी मजब...
गाड़ी एक जगह रोक दी गयी, वहाँ हमने हाथ-मुंह धोये और फिर चाय के लिए कह दिया, साथ में कुछ खाने के लिए भी! हमने खाया-पिया और फिर वहाँ से निकल पड़े! फिर से ...
और एक बार फिर से शर्मा जी और जीवेश ने उसको निचोड़ दिया! अब उसकी हालत हुई पतली! कहीं साला मर ही न जाए इसलिए छोड़ दिया उसको! “जीवेश? क्या करना है इसका?”...
“नरना के पास है” वो बोला, “नरना? कौन नरना?” जीवेश ने पूछा, “बाबा है वो” उसने कहा, “कहाँ रहता है बहन का ** ये नरना?” शर्मा जी ने पूछा, अब वो तो...
“बता, कहाँ है वो लड़की?” शर्मा जी ने पूछा, कमीन आदमी बोले ही नहीं! “नहीं बतायेगा?” जीवेश ने पूछा, अब जीवेश ने पास में रखा हुआ एक सोटा उठा लिया और...
अब आशीष ने उसके बाल पकड़ के खड़ा कर दिया! हाथ जोड़ने लगा! आंसू बह निकले! लेकिन मैं नहीं पसीजा! मैंने उस माँ के भी आंसू देखे थे जिसकी आँखों में आशा थी...
और प्लास्टिक से बने जार रखे थे, सभी में जड़ी-बूटियां सी रखी थीं! ये था बंगाली बाबा का दवाखाना! “सोमेश तू ही है?” शर्मा जी ने पूछा, वो घबराया, सिकुड़...