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वहाँ चारदीवारी का काम अगले दिन से ही आरम्भ हो गया! मै दिल्ली वापिस आ गया उसी दिन! मित्रगण! आज वहाँ वो चारदीवारी है, वहाँ बागवानी होती है, कुछ सब्जिय...
लडेगा-भिड़ेगा! आपनी फितरत से बाज नहीं आएगा! तो बेहतर है कि इसको यहीं रहने दिया जाए, इसकी ज़मीन की चारदीवारी करा दी जाए और इसको यहीं रहने दिया जाए! अब ये...
“अगर मै तुझे यहाँ से आज़ाद कर दूँ तो, तू कहाँ जाएगा?” मैंने पूछा, “मै कहीं नहीं जा सकता, मै यहीं रहूँगा” उसने बताया, “यहाँ रहेगा तो तू मारेगा लोगों...
“तू यहाँ कब से है?” मैंने पूछा, “बहुत सालों से” उसने हाथ उठाके बताया, “अच्छा!” मैंने आश्चर्य से कहा, “हाँ” उसने बताया, “तू फिर यहाँ से चला क्य...
“अरे जा कायर! जा कायर पहलवान!” मैंने अट्टहास लगा के कोसा उसको! “अब हिम्मत है तो आगे बढ़!” मैंने फिर ललकारा उसे! तभी मुझे भेडिये के गुर्राने की आवाज...
वो और जोर से रोया अब! “रोता क्यूँ है पहलवान?” मैंने पूछा, फिर वो एकदम से खिलखिलाकर हंसने लगा! “वाह! क्या बात है! तेरे से लड़के मजा आ गया!” उसने क...
किया, वो मुझसे टकराया और फिर मेरा त्रिशूल मेरे हाथ से छिटक गया! उस रीछ ने गुराते हुए मुझे देखा, मैंने अपना त्रिशूल पकड़ने के लिए छलांग लगाई, त्रिशूल मे...
छलावे का डर अपने ऊपर हावी ना होने देना ही उस से बचने का उपाय है! “हाँ! मार दूंगा, ज़मीन में गाड़ दूंगा” उसने गुस्से से कहा! “अच्छा! इतनी ताक़त है तुझ...
अब वो सामने आया थोडा और! और रुक गया! “क्या हुआ? मेरे सामने आ?” मैंने कहा, वो आगे नहीं बढ़ा! उसे शायद गंध आ गयी तामस-विद्या की! “आजा सामने” मैंने ...
“मै समझ गया! ठीक है, परन्तु मेरे रक्षा-घेरे में ही रहें, चाहे मेरे साथ कुछ भी हो” मैंने बताया, “जी गुरु जी” उन्होंने कहा, तब मैंने उनको भी तंत्राभ...
मूत्र त्याग करने वाले उसे पसंद नहीं, हाँ चुनौती देने वालों को वो बख्श्ता नहीं! यही हुआ था आज तक वहाँ! अब मैंने वहाँ से नरेन्द्र हो हटा दिया! और शर्म...
फिर हमारी कुछ और बातें होती रही इसी विषय पर, मेरे पास अभी दो दिनों का समय था तैयारी करने के लिए, मैंने कुछ साजो-सामान व सामग्री मंगवा ली! अपने तंत्राभ...
कर रहा है, ये उनके मल-मूत्र त्याग से चिढ़कर उनको लात मार के वहाँ से भगा देता है! अब ये निश्चित रूप से एक बलवान और एक पुराना छलावा ही है, निश्चित रूप से...
भिड़ने की कहानी सुनाई थी, कुछ और कहानियां भी सुनी थीं मैंने इसके बारे में! दिल्ली के एक दूरसंचार निगम के अधिकारी ने भी मुझे इसकी एक कहानी सुनाई थी, वर्...
अब मान्त्रिक घेरे में बैठा, कामिया-सिन्दूर निकाला, माथे पर टीका किया! और फिर जेब से भस्म निकाली! और जैसे ही भस्म नीचे डालनी चाहि, तभी उसको उसके घेरे म...