Notifications
Clear all
गुरुजी के संस्मरण
46
Posts
1
Users
0
Likes
676
Views
Topic starter
22/09/2024 10:47 am
अब जैसे निर्देश हए थे, उसका पालन किया गया, अंदर के एक क्षेत्र में, एक मंदिर बनवाया गया!
मंदिर बहुत सुंदर बना! जैसे बाबा हाज़िम की कृपा मिली हो उस मंदिर को! ये श्री महाऔघड़ का मंदिर है! साथ ही दो पिंडियां हैं, एक बाबा अजाल के लिए समर्पित,
और एक बाबा हाज़िम के लिए! फैक्ट्री बनी! खूब चली, जितना उन्होंने सोचा था, उस से खराब पचास गुना ज्यादा!
आज सब मंगल है वहाँ! उस मंदिर में, आज भी दीये लगते हैं! वे तीनों ही लगाते हैं, मज़दूर भी हैं, वे भी लगाते हैं, उन तीनों के परिवार भी आते हैं, वे भी लगाते हैं। आज वो स्थान, वैसा ही लगता है, जैसा मैंने बाबा अजाल का देखा था! मैं कभी नहीं मिल पाया दुबारा, जाना हुआ, तो मात्र उन दोनों भाइयों से ही मुलाक़ात हुई, हाँ, मंदिर में फूल अवश्य ही चढ़ाये, दीये के साथ! जय बाबा अज्राल! जय बाबा हाज़िम! साधुवाद!
Page 4 / 4
Prev
