Satishasankhla
@satishasankhla
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RE: वर्ष २०१२, जिला बिजनौर की एक घटना

कैसे कैसे खेल है पैसाठीया के चक्कर मे कितने ही उलझे है, जब सच का सामना होता है, तब गुरु का ऋण याद आ जाता है, और पहुच जाते है यही जहा से चालू होते है

3 months ago
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RE: प्रश्नोत्तर विभाग

@1008 बहुत ही सरल उपाय दादा, बहुत बहुत धन्यवाद।

3 months ago
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RE: ज्ञान बाबू की डायरी, वर्ष १९८७....

वक्त के कैदी से हो गए ज्ञान बाबू तो, वाह ज्ञान बाबू कैसा स्वभाव रहा आप का और सब सच जानने के बाद भी उसी में जीवन गुजार रहे है।

3 months ago
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RE: रमेली! वर्ष २०१२, काल-बेला की वो अज्ञात पुजारिन!

@1008 हर कोई रमेली जैसा सरल हो जाये, तो विकट कष्ठ भी मिट जाते है, पर नजर तो लालची इंसान की ही लगती है, और परिणाम भी लालच ही भुगतता है। जय हो भैरव बाबा...

3 months ago
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RE: वर्ष २०१५ एक गांव की घटना, कारुणि की पिपासा!

ऐसे भी शिष्य है, जो अपने गुरु की आन की खातिर, इतना बड़ा दाव भी खेलते है, और वही किया जो न्याय संगत था।

4 months ago
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RE: वर्ष २००९, एक साधना, अक्षुण्ण भार्या वेणुला!

बहुत ही गूढ़ ज्ञान की बाते कही गई है, इस संस्मरण में, और सबसे बड़ा ज्ञान तो लालच के बारे में और विद्या संचालन के बारे में मिला।

5 months ago
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RE: वर्ष २०११, बोड़ा! एक महान औघड़!

बहुत समय बाद में संस्मरण पढ़ा, और वो भी बाबा बोड़ा का,बेहद जबरदस्त द्वंद,

5 months ago
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RE: नज़र-दोष का नाश

बच्चो के लिए जरूरी है दादा, और प्रयोग विधि भी आसान है।

5 months ago
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RE: प्रश्नोत्तर विभाग

बहुत बहुत आभार दादा, की पुनः, प्रश्नोत्तर विभाग चालू हुआ है, अब संस्मरण पढ़ेंगे और चर्चा करेंगे।

5 months ago
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RE: अलवर राजस्थान की एक घटना

लालच का ऐसा ही अंत होता है, कुआली ने तो अपना वादा निभाया, पर धन का लालच पूरा कुनबा ही ले डुबा।

8 months ago
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