वर्ष २०१२ गुड़गांव क...
 
Notifications
Clear all

वर्ष २०१२ गुड़गांव की एक घटना

62 Posts
1 Users
1 Likes
794 Views
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"अम्मा जी नमस्कार!" मैंने कहते हुए शर्मा जी को भी अंदर बुलाया, वहाँ मेरे साथ शर्मा जी, वो अम्मा जी जो कि कोई अस्सी साल की रही होंगी, उनका छोटा बेटा जो कि अभी विदेश से नौकरी करने के बाद आकर अब यहाँ अपना व्यवसाय खोल रहे थे, उनकी पत्नी थीं कमरे में! मैं अम्मा से कुछ पूछने आया था,

"नमस्कार" अम्मा ने हाथ जोड़कर कहा,

"बैठो" अम्मा के बेटे ने कहा,

हम वहीँ बैठ गये, सोफे पर,

"हाँ, माँ जी, कुछ पूछना चाहता हूँ" मैंने कहा,

"पूछो" अम्मा ने कहा,

"आप तो यहाँ बहुत सालों से रह रही हैं?" मैंने पूछा,

"हाँ" वे बोलीं,

"आपके पड़ोस में जो घर है, बाएं वाला, उसके बारे में बात करनी है मुझे" मैंने कहा,

"पूछो" अम्मा ने कहा,

तब तक उनके बेटे के पत्नी पानी ले आयी थीं, हमने धन्यवाद कहते हुए पानी पिया! और गिलास रख दिए!

"अम्मा? ये घर कब से खाली पड़ा था?" मैंने पूछा,

"करीब दो साल से" अम्मा ने कहा,

"अच्छा अम्मा" मैंने कहा,

"क्यों पड़ा था?" मैंने पूछा,

"कोई खरीदता नहीं था" वे बोलीं,

"यही माता जी! यही पूछना चाहता हूँ मैं कि क्यों? ऐसी क्या बात थी?" मैंने पूछा,


   
Quote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"भूत हैं उसमे" वो बोलीं,

"भूत?" मैंने पूछा,

"हाँ, दो भूत" वो बोलीं,

"आपने कभी देखे?" मैंने पूछा,

"नहीं" वो बोलीं,

"अच्छा, तो सुना होगा आपने" मैंने कहा,

"हाँ, सुना था, एक परिवार रहता था इसमें कोई दो साल पहले, वो दो महीने रुके, उनकी लड़की का गला दबा देता था वो भूत" वे बोलीं,

"गला? मतलब इसीलिए वो छोड़ के चले गए?" मैंने पूछा,

"हाँ" वो बोलीं,

"अच्छा!" मैंने कहा,

अब तक उनकी बहु चाय बना लायी थीं, सो अब हम चाय पीने लगे, फिर आसपादपस की बातें करने लगे!

"आपने लिया है वो घर?" उनके बेटे ने पूछा,

"नहीं भाई साहब, मेरे जानकार हैं, उन्होंने लिया है" मैंने कहा,

"अच्छा, तो क्या उन्होंने देखा है कोई भूत?" उसने पूछा,

"हाँ, कुछ ऐसा ही हुआ है" मैंने कहा,

"ओह" वो बोला,

"मैंने उन्ही से पूछा था, तब उन्होंने बताया कि साथ में रहने वाली अम्मा जी काफी सालों से यहाँ रह रही हैं, वो कुछ बता सकती हैं, इसीलिए मैंने आपसे पूछा था!" मैंने कहा,

"कोई बात नहीं जी" वो बोला,

"माता जी? उस परिवार से पहले कुछ हुआ था इस घर में?" मैंने पूछा,

"हाँ" वे बोलीं,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

अब मैं चौंका!

"क्या अम्मा जी?" मैंने पूछा,

"एक लड़की और उसके दोस्त ने आत्महत्या कर ली थी घर में, फांसी लगा के" वे बोलीं,

अब ये एकदम नया और ठोस खुलासा था!

"ये कब की बात होगी?" मैंने पूछा,

"कोई चार साल हो गए" वो बोलीं,

"लड़की का नाम पता है आपको?" मैंने पूछा,

"हाँ" वे बोलीं,

"वो अच्छी लड़की थी, कॉलेज जाती थी, हमारे घर भी आती थी" वो बोलीं,

"माता जी, नाम क्या था उसका?" मैंने पूछा,

"कृतिका" वे बोले,

"अच्छा!" मैंने कहा,

चाय ख़तम हो गयी! हमने कप रख दिए!

"अच्छा अम्मा! अच्छा भाई साहब! बहुत बहुत धन्यवाद!" मैंने हाथ मिलाते हुए कहा,

"कोई बात नहीं भाई साहब" वो बोले,

अब हम बाहर आ गये उनके घर से,

तो वाक़ई इस घर में भूतों का बसेरा था! ये रूबी का वहम नहीं था, वास्तव में उसने जो बताया था वो सही था!

अब हम अपने जानकार के घर में घुसे और अंदर कमरे में चले गये, वे हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे! इन जानकार का नाम है प्रकाश, अपना व्यवसाय है उनका, घर में एक बेटी रूबी, छोटा लड़का विभोर और उनकी पत्नी पुष्प और उनके पिता जी रहते हैं, उन्होंने करीब तीन महीने पहले ये घर खरीदा था, घर वैसे तो आलीशान था लेकिन इसका इतिहास भयावह था! अम्मा जी ने जो बताया था उसके अनुसार यहाँ दो भूत रहते हैं, और यहाँ रहने वाली दो लडकियां


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

उनसे पीड़ित हो चुकी थीं, एक जी घर छोड़ के जा चुके थे और एक ये रूबी! और उन्होंने जो नाम बताया था कृतिका, वो भी सही था, अब कड़ियाँ जुड़ने लगी थीं!

"रूबी? क्या नाम लेता है कोई?" मैंने पूछा,

"कृति" वो बोली,

कृति यानि कृतिका!

"कुछ पता चला है?" प्रकाश जी ने पूछा,

"हाँ!" मैंने कहा,

"क्या?" उन्होंने पूछा,

"यही कि जो रूबी ने बताया है वो सही है!" मैंने कहा,

अब वे डरे सब के सब!

"हे भ***!!" वे बोले,

"इसका मतलब ये घर छोड़ना पड़ेगा?" उनकी पत्नी ने पूछा,

"नहीं!" मैंने कहा,

"अच्छा!" प्रकाश जी ने कहा!

"मैं देखता हूँ कि कौन है वो और क्या चाहता है? क्यों तंग करता है यहाँ लड़कियों को?" मैंने कहा,

मेरी इस बात से जैसे हौल बैठ गया कमरे में!

"पता चल जाएगा, आप चिंता न करें" शर्मा जी ने कहा,

"जी" प्रकाश जी बोले,

कुछ देर शान्ति रही!

"चाय बना लो" प्रकाश जी ने अपनी पत्नी से कहा,

"अभी वहीँ आपके पडोसी के यहाँ पी के आये हैं" मैंने कहा,

"कोई बात नहीं, एक और सही" वे बोले,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"चलो ठीक है" मैंने कहा,

पुष्प जी चाय बनाने चली गयीं!

"दो भूत हैं जी?" उनके पिता जी ने पूछा,

"माता जी ने यही कहा, सुनी सुनायी बात है" मैंने कहा,

"हमे नहीं बताया किसी ने भी, नहीं तो नहीं लेते ये मकान" वे बोले,

"कोई बात नहीं" मैंने कहा,

"चले जायेंगे वो- यहाँ से? कहते हैं वो अपनी जगह कभी नहीं छोड़ते?" उन्होंने पूछा,

"हाँ, है तो ऐसा ही" मैंने कहा,

वे घबराये अब!

"लेकिन चिंता न करें!" मैंने कहा,

चाय ले आयीं उनकी पत्नी, और हम चाय पीने लगे!

 

मित्रगण! प्रकाश जी ने मुझसे संपर्क साधा था, कोई हफ्ते भर पहले, उन्होंने मुझे बताया था कि उनके घर में उनकी बेटी के साथ कुछ अजीब अजीब सा हो रहा है इन दिनों, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था, वो अब दरी हुई थी बहुत ज़यादा, अकेली सोती भी नहीं थी अब! रात रात भर जागती रहती है, और उसकी वजह से घर में सभी परेशान रहने लगे हैं, उनके परिवार को किसी की नज़र लग गयी है, ऐसा लगता है! स्व्यं प्रकाश जी भी बहुत घबराये हुए थे, मैंने उनको एक दिन अपने यहाँ बुला लिया, वे अकेले ही मेरे पास चले आये, उसी समय शर्मा जी भी आये थे मेरे पास! मैंने उनको पानी पिलवाया और फिर अपने सहायक को चाय के लिए कह दिया, सहायक चला गया,

"अब बताइये प्रकाश जी, क्या बात है?" मैंने पूछा,

"गुरु जी, मैंने आपको बताया था न कि हाल में ही ये घर खरीदा है, पहले जहां रहते थे वहाँ रूबी के साथ कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ, लेकिन इस घर में तो लगता है कोई रूबी के पीछे पड़ा हुआ है" वे बोले,

"कौन पड़ा हुआ है?" मैंने पूछा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"पता नहीं गुरु जी" वे बोले,

"क्या होता है उसके साथ?" मैंने पूछा,

"हमे करीब तीन ही महीने हुए हैं यहाँ आये हुए, एक आद हफ्ता तो ठीक रहा लेकिन एक दिन रात को रूबी चिल्ला पड़ी, हम भागे उसकी तरफ, उसके कमरे के तरफ, हमने दरवाज़ा खुलवाया, रूबी दरी-सहमी बैठी थी बिस्तर पर, घुटनों में अपना सर छिपाए" वे बोले,

"क्या हुआ था?" मैंने पूछा,

"वो दरी हुई थी, काँप रही थी, जब उस से पूछा गया तो उसने बताया कि कोई लड़का उसके ऊपर झुका हुआ था, और उसके कान में कृति कृति बोल रहा था, अचानक से उसकी आँख खुली और वो चिल्ला पड़ी" वो बोले,

"अच्छा!" मैंने कहा,

"हाँ जी" वे बोले,

"फिर?" मैंने पूछा,

"गुरु जी, इसके बाद से वो सहम गयी, अकलेने नहीं सोती थी, हमने उसको कई जगह दिखाया, कुछ फायदा भी हुआ, एक हफा सही गुजरा लेकिन अगले ही हफ्ते, फिर ऐसा हुआ, इस बार बल्कि उस लड़के ने हाथ पकड़ लिया था रूबी का" वे बोले,

"अच्छा?" मैंने कहा,

"हाँ जी" वे बोले,

"आपने किसी को जब दिखाया था तो ये नहीं बताया था?" मैंने पूछा,

"बताया था गुरु जी" वे बोले,

"क्या बोला वो?" मैंने पूछा,

"उसने बताया कि घर भुतहा है, इस घर में भूतों का वास है, उनको ये मकान छोड़ देना चाहिए!" वे बोले,

"अच्छा, मकान छोड़ दो, इलाज नहीं करो?" मैंने पूछा,

"हाँ जी" वे बोले,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

तभी चाय आ गयी, हम चाय पीने लगे!

"और क्या हुआ था?" मैंने पूछा,

"एक दोपहर की बात है, रूबी नहा कर अपने कमरे में गयी थी, तैयार ह रही थी तो उसके कपड़े किसी ने खींच के फाड़ डाले" वे बोले,

"क्या?" मैंने कहा,

"हाँ जी" वे बोले,

"ये तो अजीब बात है" मैंने कहा,

"जी" वे बोले,

"अच्छा, फिर क्या हुआ?" मैंने पूछा,

"इसके बाद तो वो बहुत डर गयी, रिश्तेदारी में जाने की सोचने लगी, और ये सही भी था, हमने उसको उसकी बुआ के घर दिल्ली में भेज दिया" वे बोले.

''अच्छा" मैंने कहा,

"उसके बाद घर में कुछ शांति सी हुई" वे बोले,

''अच्छा" मैंने कहा,

तभी मेरा फ़ोन बजा, ये मेरे एक और जानकार का था, वे मिलने आ रहे थे कल, सूचना दी थी उन्होंने!

"अच्छा, शान्ति हो गयी, फिर?" मैंने पूछा,

"गुरु जी, एक रात की बात है, रूबी के कमरे में से कुछ आवाज़ें आयीं, जैसे कोई ढूंढ रहा हो कुछ, सामान उठा उठा के फेंक रहा हो कोई जैसे" वे बोले,

"अच्छा" मैंने कहा,

"हम सब उठ गए, आवाज़ तेज थीं बहुत" वे बोले,

"समय क्या रहा होगा तब?" मैंने पूछा,

"कोई दो बजे होंगे गुरु जी" वे बोले,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"अच्छा, फिर?" मैंने पूछा,

"दरवाज़े पर ताला था, कोई चोर तो घुसा नहीं था, अब डर गए हम, किसी तरह से मैंने हिम्म्त की और दरवाज़े पर लगा ताला खोला, अंदर से आती आवाज़ें बंद हो गयीं एक दम, मैंने दरवाज़ा खोला और...." वे बोले और रुके,

"क्या हुआ था अंदर?" मैंने पूछा,

"आदत रूबी का सारा सामान बिखरा पड़ा था, सारे कपड़े फटे पड़े थे, बिस्तर की चादर, किताबें, उसका कंप्यूटर सब नीचे गिरे पड़े थे!" वे बोले,

"ओह, ये तो भयानक प्रेत-लीला लगती है" मैंने कहा,

"हमने दरवाज़ा बंद कर दिया और अपने अपने कमरे में आ बैठे, नींद उड़ गयी सबकी, मेरे पिता जी भी परेशान हो उठे" वे बोले,

"परेशान होने की बात ही है" मैंने कहा,

चाय खत्म हुई, कप रखे नीचे,

आपको कोई बढ़िया आदमी लाना चाहिए था, उसको बताते ये सब" मैंने कहा,

"लाये थे जी, एक आये थे, काफी पहुंचे हुए हैं, वे आये थे, उन्होंने देखा और कुछ कीलें गाड़ दीं उधर और फिर कुछ जल छिड़क दिया, और फिर ये कह कर कि अब कुछ नहीं होगा, चले गये" मैंने कहा,

"फिर? हो गया ठीक?" मैंने पूछा,

"हाँ गुरु जी, एक महीना तो ठीक रहा" वे बोले,

"उसके बाद?" मैंने पूछा,

"गुरु जी, एक रात को मेरे कमरे में ही, मेरी किताबें गिर पड़ीं नीचे, अलमारी के दरवाज़े टूट गए अपने आप, लगा कोई तोड़ रहा है उनको, हम डर के मारे भागे बाहर, पिता जी के कमरे में आ गए और दरवाज़ा बंद कर लिया, सुबह तक वहीँ रहे, सुबह जब अपने कमरे में मैं गया डरते डरते तो वहाँ एक एक सामान तोड़-फोड़ दिया गया था" वे बोले,

"इसका मतलब कोई गुस्से में है" मैंने कहा,

"लेकिन गुरु जी, फंस तो हम गए न?" वे बोले,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"हाँ, ये तो है" मैंने कहा,

"अच्छा, आगे?" मैंने पूछा,

"गुरु जी हमने ठान लिया कि अब इस घर में नहीं रहेंगे हम, मैंने अपने आसपास के बिल्डर्स से बात की, उनको लिखवा दिया, जिस से खरीदा था, बिल्डर से, उसको भी कह दिया, उसने हमे नहीं बताया था, उसने ये बात छिपाई थी हमसे, खैर, हम अब वहाँ नहीं रहना चाहते थे, किसी भी सूरत में" वे बोले,

"अच्छा, कोई पार्टी आयी मकान के लिए?" मैंने पूछा,

"नहीं, और तभी हमे पता चला कि वो मकान भुतहा है" वे बोले,

"फंस गए आप" मैंने कहा,

"हाँ जी, इसीलिए आपके बारे में बताया रघुबीर ने, तभी मैंने आपसे सम्पर्क साधा" वे बोले,

"मैं देखता हूँ इस मामले को" मैंने कहा,

"बड़ी मेहरबानी होगी आपकी" वे बोले,

"कोई बात नहीं, देख लेते हैं" मैंने कहा,

तभी सहायक आया और चाय के कप उठाके ले गया!

 

"कुछ और बात जो बताना चाहते हैं आप?" मैंने पूछा,

"और कुछ नहीं गुरु जी, अब आपकी प्रतीक्षा है" वे बोले,

"मैं समय मिलते ही आपके पास आउंगा, आने से पहले मैं आपको इत्तिला करूँगा, आप रूबी को बुला लेना घर पर, उस से भी कुछ पूछना है" मैंने कहा,

"जी गुरु जी" वे बोले,

उसके बाद प्रकाश जी ने नमस्कार कही और वहाँ से विदा ली! शर्मा जी ने सब कुछ सुना था वहीँ बैठे बैठे, तो वे बोले, "भुतहा घर खरीद लिया इन्होने!" वे बोले,

"हाँ, बिल्डर ने अपना स्वार्थ साध लिया!" मैंने कहा,

"ये भी सस्ते के चक्कर में आ गए होंगे!" वे बोले,


   
Rajkaran reacted
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"लाजमी है, मैं होता उनकी जगह तो मैं भी आ जाता!" मैंने कहा,

"हाँ, सही बात है" वे बोले,

"कहाँ रहते हैं ये? गुड़गांव?" उन्होंने पूछा,

"हाँ वहीँ" मैंने कहा,

"अच्छा, अब चलना होगा वहाँ?" उन्होंने कहा,

"हाँ" मैंने कहा,

"कब?" उन्होंने पूछा,

"परसों का सोचा है मैंने" मैंने कहा,

"अच्छा" वे बोले,

"चलते हैं" मैंने कहा,

"ज़रूर" मैंने कहा,

तो परसों का पक्का हो गया, प्रकाश जी के घर में प्रेत-लीला हो रही थी, मैंने कई मामले देखे हैं ऐसी प्रेत-लीलाओं के, उन सभी में कुछ न कुछ कारण अवश्य ही निहित रहा करता है, सो मेरा वहाँ जाना उचित था, तभी पता चलता कि वहाँ चल क्या रहा है? और ये जाए बिना नहीं पता चल सकता था!

"एक काम करना शर्मा जी, आज प्रकाश जी को फ़ोन कर देना, ये रहा उनका नंबर, वो रूबी को बुला लेंगे वहीँ" मैंने कहा, और उनको नंबर दे दिया, उन्होंने नंबर ले लिया और फ़ोन में फीड कर लिया!

इसके बाद शर्मा जी और मैं कुछ खरीदारी करने चले गए, सामग्रियां लानी थीं, सो वहीँ खरीदने निकले थे, वहाँ से कुछ और भी सामान लिया और फिर वहीँ रास्ते में भोजन भी कर लिया और फिर वापसी आ गए, मुझे छोड़कर शर्मा जी चले गए और शाम को आने की कह गये!

एक दिन और बीता, और फिर परसों वाला दिन आ गया, शर्मा जी ने फ़ोन कर दिया था प्रकाश जी को, उन्होंने बुला लिया था अपनी बेटी रूबी को घर पर, और ये पता चलते ही हम अपने स्थान से निकल पड़े गुड़गांव के लिए!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

वहाँ पहुंचे, ये क्षेत्र काफी विकसित क्षेत्र है, अब यहाँ बहुत प्रगति हुई है, मकान सभी एक जैसे ही लगते हैं, सुनियोजित कार्य-प्रणाली की दें है ये, खैर, हम उनके बताये पते पर पहुँच गए, गाड़ी रोकी वहाँ शर्मा जी ने, प्रकश जी वहीँ मिले, नमस्कार हुई और उन्होंने गाड़ी वहीँ घर के सामने लगवा दी, अब हम उतरे, मैंने सरसरी निगाह से घर को देखा, वहाँ कुछ भी असामान्य नहीं था, सबकुछ ठीक ठाक था, अब हम घर में घुसे, उनके परिवारजनों से नमस्कार हुई, कोई अधिक बड़ा परिवार नहीं था उनका, हम बैठे वहाँ और फिर से एक बार उसी विषय पर बात की, पानी मंगवाया गया, हमने पानी पिया और उसके बाद चाय भी बनवा ली गयी, हमने चाय भी पी और साथ में कुछ खाया भी!

"प्रकाश जी?" मैंने कहा,

"जी?" वे बोले,

"यहाँ ऐसा कौन है जो काफी समय से रह रहा हो?" मैंने पोछा,

"जी ये पड़ोस में है एक परिवार, वो यहाँ काफी समय से रह रहे हैं, वहाँ एक माता जी हैं, वो यहीं रही हैं, उनका छोटा बेटा अभी विदेश से आया है, अब व्यवसाय खोलना चाहता है, यही परिवार है जी यहाँ ऐसा हमारी जानकारी में" वे बोले,

"माता जी से बात हो सकती है?" मैंने कहा,

"हाँ, हो सकती है, भले लोग हैं" वे बोले,

"मेरी बात कराइये उन माता जी से" मैंने कहा,

"चलिए" वे बोले,

अब हम चले!

उनके घर की घंटी बजाई, उनका बेटा बाहर आया, उनसे प्रकाश जी ने बात कही तो वे तैयार हो गए, और फिर हमने माता जी से बात की, जो मैं लिख चुका हुआ पहले भाग में!

एक बार फिर से चाय आयी थी, सो दुबारा से चाय पी हमने!

"प्रकाश जी, मैं कुछ पूछना चाहता हूँ रूबी से" मैंने कहा,

"जी ज़रूर" वे बोले,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"रूबी, मैंने सारी बात आपके पिता जी से सुन ली है, कुछ पूछना चाहता हूँ आपसे, पूछूं?" मैंने पूछा,

"जी पूछिए" उसने कहा,

"इस घर में डर लगता है?" मैंने पूछा,

"हाँ" उसने कहा,

"आपको लगता है कोई है घर में?" मैंने पूछा,

"हाँ" उसने कहा,

"आपने क्या सुना था? क्या नाम?" मैंने पूछा,

"कृति, कोई कृति कह रहा था" उसने कहा,

"ये स्वर क्रोश के थे या इसमें प्रेम-भाव था?" मैंने पूछा,

"क्रोध के तो नहीं थे" उसने कहा,

''अच्छा, आपने बताया कि उसने, आप जब सो रहे थे तो हाथ पकड़ लिया था?" मैंने पूछा,

"हाँ" वो बोली,

"और एक बार कपड़े भी फाड़ने की कोशिश की थी?" मैंने पूछा,

"दरअसल मुझे धक्का दिया था किसी ने, जब मैंने उठने की कोशिश की तो जैसे मुझे किसी ने जैसे वहीँ थामे रहना चाहा, आपाधापी में कपड़ा फट गया, मैं बहुत ज़ोर से चिल्लाई थी तब और उसके बाद से ही मैंने इस घर में न रहने का फैंसला कर लिया था" वो बोली,

"ठीक है रूबी" मैंने कहा,

"गुरु जी? अब भेज दें वापिस रूबी को इसकी बुआ जी के घर?" उन्होंने पूछा,

"नहीं, अभी नहीं, मैं देखना चाहता हूँ कि आगे क्या होता है!" मैंने कहा,

अब वे घबराये!

सबसे ज़यादा वो रूबी! उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं!

"मैं नहीं रहूंगी यहाँ" उसने कहा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"घबराओ मत!" मैंने कहा,

"सवाल ही नहीं" उसने कहा,

"मुझ पर विश्वास रखो" मैंने कहा,

"मैं नहीं बर्दाश्त कर सकती, मुझे डर लगता है" उसने कहा,

"अब कुछ नहीं होगा" मैंने कहा,

"नहीं, मैं नहीं रुकने वाली" वो बोली,

प्रकाश जी ने भी समझाया, उनको पत्नी ने भी समझाया लेकिन रूबी इस क़द्र डरी हुई थी कि वो वहाँ रुकने को तैयार नहीं थी, आखिर वो नहीं मानी, तब मैंने उसको जाने के लिए कह दिया, अब मुझे जो कुछ करना था अपने आप ही करना था, रूबी वहाँ होती तो काम आसान हो जाता, लेकिन रूबी ने मना कर दिया, और कोई रास्ता नहीं था!

"प्रकाश जी? मुझे रूबी का कमरा दिखाइये" मैंने कहा,

"चलिए" वे बोले, उठे,

हम भी उठे,

उनके पीछे हुए,

रूबी के कमरे का ताला खोला गया, हमने कमरे में प्रवेश किया, कमरा ठीक कर दिया था बाद में, वहाँ सबकुछ ठीक था,

"प्रकाश जी, रूबी को बुलाइये" मैंने कहा,

"जी" वो बोले और रूबी को बुलाने चल दिए,

मैंने कमरे को देखा, काफी बड़ा कमरा था वो,

रूबी आ गयी,

"रूबी, तुम वहीँ लेटी थीं?" मैंने पूछा,

"हाँ" उसने कहा,

"और वो धक्का-मुक्की कहाँ हुई थी?" मैंने पूछा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

वो अब सामने गयी, वहाँ दीवार में एक बड़ा सा शीशा जड़ा था,

"यहाँ" उसने कहा,

अब मैं वहाँ तक गया!

"यहाँ हुआ था ऐसा?" मैंने पूछा,

"हाँ" उसने कहा,

"ठीक है, अब जाओ तुम" मैंने कहा,

रूबी तेजी से कमरे से बाहर भाग गयी!

"तो शुरुआत यहाँ से हुई थी" मैंने कहा,

"हाँ जी" वे बोले,

अब मेरे दिमाग में आया कि यही कमरा होगा उस लड़की का जिसने अपने पुरुष-मित्र के साथ आत्महत्या की थी, लेकिन फिर से एक सवाल कौंधा? अगर दोनों ने आत्म-हत्या की थी एक साथ तो यहाँ वो लड़का प्रेत बनके लौटा है? लड़की का प्रेत कहाँ है? कहीं ऐसा तो नहीं वो अभी भी कृतिका को ही ढूंढ रहा हो? मैंने ज़ोर मारा दिमाग पर, कड़ियाँ जुड़ीं, अम्मा जी ने भी बताया था कि प्रकासश जी से पहले जो यहाँ रहता था, उनकी बेटी का भी गला दबाने की कोशिश की गयी थी, यानि कि वो लड़के का प्रेत अभी भी यहाँ आ रहा है, ढूंढने उस लड़की कृतिका को! हाँ, यही है इसका आधार! इसीलिए उसने रूबी को भी शिकार बनाया था!

"चलिए" मैंने पलट कर कहा,

दिमाग में सवालों का ढेर लग गया था!

"चलिए" शर्मा जी बोले,

कमरे से बाहर आये,

ताला लगा कर कमरा बंद किया गया!

और हम वहीँ आ कर बैठ गए जहां पहले बैठे थे! लेकिन अब दिमाग गरम होने लगा था!

 

"ठीक है, प्रकाश जी, आप रूबी को भेज दीजिये इसकी बुआ के पास" मैंने कुछ सोच कर कहा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"जी, ठीक है" वे बोले,

"अभी घर में कोई नहीं है, मेरा मतलब किसी भी प्रेतात्मा का अस्तित्व यहाँ नहीं है, मुझे और अधिक जानना होगा, जैसा कि माता जी ने बताया था, लड़की के बारे में हम जानते हैं, लेकिन उस लड़के के बारे में नहीं, उस लड़के के बार में जानना भी ज़रूरी है" मैंने कहा,

"माता जी से पूछें?" उन्होंने सुझाव दिया,

"आप पूछ लीजिये, हम अभी आये हैं" मैंने कहा,

"चलिए गुरु जी, कोई बात नहीं" वे बोले,

"ठीक है" मैंने कहा और हम उठ गए,

फिर से बाहर आये, एक बार फिर से पड़ोस के मकान की घंटी बजायी, फिर से माता जी के लड़के बाहर आये, और दरवाज़ा खोल दिया!

"आइये भाई साहब" वे बोले,

"वो माता जी से एक और सवाल करना है" प्रकाश जी ने पूछा,

"हाँ हाँ! क्यों नहीं, आइये" वे बोले,

अब हम फिर से अंदर चले!

माता जी के पास ले गए वो हमे, वो आराम कर रही थीं, हमे देख उठने लगीं तो मैंने उनको लेटे रहने को ही कहा, और फिर से माता जी से सवाल पूछा, "माता जी, आपने उस लड़की का नाम तो बताया था कृतिका? क्या आपको उस लड़के का भी नाम याद है?" मैंने पूछा,

"नहीं" उन्होंने गरदन हिला कर मना कर दिया,

अब क्या कर सकते थे, फिर से धन्यवाद् करके हम वापिस आ गए वहाँ से!

"माता जी को नहीं पता" मैंने कहा,

"हाँ जी" वे बोले,

"कोई बात नहीं, मैं पता करता हूँ" मैंने कहा,

"क्या मैं खोजबीन करूँ?" उन्होंने पूछा,

"अवश्य, इस से मेरा काम हल्का हो जाएगा" मैंने कहा,


   
ReplyQuote
Page 1 / 5
Share:
error: Content is protected !!
Scroll to Top