वर्ष २०११ हापुड़ उत्...
 
Notifications
Clear all

वर्ष २०११ हापुड़ उत्तर प्रदेश के पास की एक घटना

35 Posts
1 Users
0 Likes
617 Views
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

वो जैसे नींद से जागा!

“ये कौन है हंसा?” मैंने पूछा,

“पिंड तारे, घाड़ हमारे” उसने धीरे से कहा और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरा!

“कौन है ये हंसा?’ मैंने प्रश्न दोहराया!

“ठहर जा! मेरे पास ही है!” उसने फिर से गंभीर मुद्रा बना कर मुझे घूरा! मुझे कुछ अनहोनी के आसार से लगे तो मैंने मन ही मन कौलित्र-मंत्र का जाप किया! कौलिक की अभेद्य काट है ये!

“न कर बालक! न कर! मारना होता तो मार देता तुझे!” उसने अब हंस के कहा!

बेहद अजीब सा लहजा था उसका उस समय!

 

बाबा भुंडा बात बात में अलग अलग रंग में आ रहा था! कभी मृदु कभी रुक्ष! पल पल में उसके हाव-भाव बदल जाते थे! मैंने फिर भी उसके प्रत्येक हाव-भाव पर नज़रें टिकाये हुई थीं! मैंने फिर से पूछा, “हंसा का क्या हुआ?

“हंसा?” उसने फिर से शून्य में घूरा!

मैंने उसके चेहरे को देखा, गुस्से से तमतमा गया था!

“मार डाला कुत्ते ने” वो बड़बड़ाया!

“मार डाला? हंसा को?” मैंने पूछा,

“हाँ! हाँ! मार डाला!” वो चिल्लाया!

“किसने मार डाला?” मैंने पूछा,

“बछेंद्र ने मार डाला कुत्ते के जात!” उसने उसका नाम लेकर थूका ज़मीन पर!

अब वो गुस्से में आ गया था! पाँव पटक रहा था ज़मीन पर!

“भुंडा! क्यूँ मारा उसने हंसा को?” मैंने पूछा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“हरामजादा! हरामजादा!” उसने कहा,

वो भयानक गुस्सा ज़ाहिर कर रहा था!

फिर एक दम धम्म से बैठ गया चारपाई पर! मुझे देखा, मेरा हाथ पकड़ा और बोल,” दारु पिएगा?”

“नहीं” मैंने कहा,

“मेरे साथ नहीं?” उसने कहा,

“नहीं ऐसा नहीं है, लेकिन नहीं पिऊंगा” मैंने कहा,

“पीनी पड़ेगी” उसने कहा और उठकर अपने कमरे में गया, वहाँ से एक बोतल ले आया देसी की, मैंने और शर्मा जी ने एक दूसरे को देखा!

“ओ री हरामजादी, गिलास ला दे यहाँ” वो चिल्लाया!

कोई नहीं आया वहाँ! मैंने मना कर दिया था सबको! उसने अपने ताऊ की लड़की को बुलाया था!

“देख लूँगा! देख लूँगा!” उसने कहा और फिर अन्दर जाके दो स्टील के गिलास ले आया! अब उसने गिलास भर दिए दोनों पूरे के पूरे और बोला, “रंडी का खसम, गैर का जनम, बोले चौन्सठी राजा हैं हम!” और फिर एक गिलास मुझे थमा दिया!

उसने जो बोला था, ये कौलिक बोला करते हैं, भोग दिया करते हैं चौन्सठी को तब ऐसा ही बोला जाता है! ये ज़रूर कोई पहुंचा हुआ बाबा था! बाबा भुंडा!

मैंने गिलास ले लिए और फिर मैंने एक ही झटके में गिलास खाली कर दिया!

“वाह! रंडी का खसम खुश हो गया! देख पेड़ पे बैठा देख रहा है!” उसने ऊपर इशारा किया! मैंने ऊपर देखा तो वहाँ एक ऊंची शाख पर एक महाप्रेत जैसा कोई बैठा हुआ था! काले रंग का! एक धुए का गुब्बार जैसा! उसकी टांगें उसके धड से दोगुनी लम्बी थीं!

उसने भी अब ‘चौन्सठी मैया ये ले’ कहते हुए वो गिलास गटक लिया!

“और सुना?” मेरे कंधे पर हाथ मारते हुए उसने कहा!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“बाबा भुंडा?” मैंने कहा,

“हाँ बोल?” वो बोला,

“हंसा को क्यों मारा उसने?” मैंने फिर से प्रश्न किया!

“मेरी जोरू थी वो, इसीलिए मारा उसने” उसने बताया! और फिर ‘हंसा! हंसा!’ कहके बुक्का फाड़ के रो पड़ा!

जब शांत हुआ तो बोला,”हंसा मेरी जोरू थी”

‘अच्छा!” मैंने कहा,

“बछेंद्र ने माँगा उसको मुझसे” उसने बताया,

“क्यों?’ मैंने पूछा,

“उसके रूप-जोवन पर रीझा कमीना!” उसने बताया,

“ओह! ये है कारण!” मैंने कहा!

“हाँ! मेरी हंसा को मार डाला कमीने ने!” उसने कहा,

फिर बीड़ी निकाली और सुलगाई, और चिलम की तरह से घूँट भरे!

“अच्छा, भुंडा?” मैंने पूछा,

“हाँ बोल?” उसने मुझे देखा!

“तूने कहा, मै काम आ सकता हूँ तेरे?” मैंने पूछा,

“हाँ!” उसने कहा,

“कैसे?” मैंने पूछा,

“अभी बताता हूँ, दारु ले अभी और!” उनसे कहा और दारु डाल दी गिलास में!

 


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

भुंडा ने और दारु डाल दी गिलास में! और एक गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया! मैंने गिलास पकड़ा और खींच गया! बाबा भुंडा मुझे देखता रहा और फिर हंसने लगा! बोला,” सुन औघड़! मै अधूरा हूँ, मुझे पूरा होना है!”

“कैसे?” मैंने पूछा,

“शशश! यहाँ बहुत हैं साले ‘ओखड़े’ सारी बात सुन लेंगे, मै बताऊंगा तुझे” उसने कहा और फिर वही पुराना जुमला पढ़ा कर गिलास खींच गया!

“ठीक है बाबा!” मैंने कहा,

“नाम क्या है तेरा?” उसने पूछा,

मैंने उसको अपना नाम बताया!

“वाह! तू सही आया है यहाँ!” उसने कहा,

“भुंडा? एक बात पूछूं?” मैंने कहा,

“हाँ! दिल खोल के पूछा अब” उसने कहा,

“तू इस लड़के में कैसे आया?” मैंने पूछा,

“ये लड़का खुद ही लाया मुझे यहाँ!” उसने कुटिल सी मुस्कान के साथ बताया!

“वो कैसे?” मैंने पूछा,

“इसका बाप गया था गढ़, मै वहीँ था! इसके बाप ने और इसके लड़के ने पूजा की वहाँ, और मालाएं फेंकीं! इस लड़के की फेंकी माला मेरे ऊपर पड़ी! मै तो हो गया हावी!” उसने अब अट्टहास लगा के कहा!

“अच्छा!” मैंने कहा,

“हाँ!” वो फिर से हंसा!

“मै सालों की मदद करता रहता हूँ, जान बचा लेता है इन कीड़ों की, साले मुझसे डरते हैं सारे!” उसने बताया,

“बाबा तेरे साथ तो डेरा भी है तेरा यहाँ लगता है” मैंने कहा,

“ना! नौक्कर है साले ये मेरे!” उसने कहा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“नौकर?” मैंने पूछा,

“हाँ! साले डरपोक कहीं के!” उसने बताया!

“अच्छा भुंडा?” मैंने उसके कंधे पे हाथ मारा!

“हाँ पूछ ना!” भुंडा ना अब मुझे गले से लगा लिया!

“काहे इनको तंग करता है तू?” मैंने पूछा,

“क्या??” उसने कहा,

“हाँ, ये तेरे मेरे जैसे लोग नहीं भुंडा!” मैंने कहा,

“ये! ये साले सारे हरामजादे हैं!” उसने कहा,

“नहीं, ऐसा नहीं है” मैंने कहा,

“चुप कर!” उसने अपने होठों पर ऊँगली रख के कहा!

“नहीं, मेरी बात सुन!” मैंने उसका हाथ हटाते हुए कहा,

“बता?” उसने कहा,

“इनको छोड़ दे” मैंने कहा,

“क्यूँ यार?” उसने पूछा,

“एक बात बता, इन्होने क्या बिगाड़ा तेरा? जिसने बिगाड़ा उसका तो तू कुछ कर नहीं सका?” मैंने कहा,

“ओयॆऎऎ! निकल जा! निकल जा यहाँ से!” वो उठा और गुस्सा खा गया एकदम!

“सुन भुंडा! अब तू तो क्या तेरा बाप भी मुझे कहे ना निकल जा, तो तुझे निकाल के छोडूंगा मै!” मैंने भी खड़े होकर कहा!

“तू भी गद्दार है!” वो मुझे अपनी ऊँगली हिला के दिखाते हुए बोला!

“ठीक है, मै गद्दार सही, लेकिन तू तो कायर है!” मैंने कहा!

“काट दूंगा! टुकड़े कर दूंगा तेरे!” उसने कहा गुस्से में!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“सुन ओये भुंडा! तेरे जैसे आबा-बाबा मैंने बहुत देखे हैं! ये तेरा रंडी का खसम अभी अपनी गा** उठा के भागेगा यहाँ से!” मैंने कहा!

“इतना दम?” उसने कहा,

“देखना चाहता है?” मैंने उसको जवाब दिया!

“दिखा?? दिखा ना??” उसने मुझे चुनौती दी!

“ठीक है, अब देख!” मैंने कहा,

अब मैंने अपने महाप्रेत वाचाल का आह्वान किया! वाचाल कुछ ही क्षणों में प्रकट हुआ! उसको देख वो ‘रंडी का खसम’ नदारद हो गया! ऐसा देख बाबा भुंडा की आँखें फटी की फटी रह गयीं! मैंने वाचाल को वापिस कर दिया!

“औघड़! मुझे डराता है तू? बाबा भुंडा को डराता है?” उसने गुस्से से दांत भींच के कहा,

“सुन ओ भुंडा! जो तेरे बस की हो, कर ले! तेरे जैसे कौलिक पाँव चाटते हैं मेरे!” मैंने कहा,

“लगाम लगा!” उसने कहा और फिर एक मंत्र का जाप करने लगा! मेरे समक्ष कुरूपा शाकिनी प्रकट हो गयी! परन्तु मेरे गले में धारण बाल-दन्त और बाल-कुप्प देखा आगे ना बढ़ सकी! अब मैंने अट्टहास लगाया! मैंने जिमाकी-विद्या का प्रयोग किया! शाकिनी भागी अपने केश उठा के!

माहौल ऐसा हो गया कि जैसे शमशान में वाद-प्रतिवाद छिड़ा हो! कुछ पडोसी लोग अपनी अपनी छतों से वहाँ हो रहा ‘दो शराबियों’ का तमाशा देखने लगे थे!

 

अब भुंडा बाबा को आया क्रोध! उसकी शाकिनी तो हवा हो गयी थी! और वो जान गया था की उसके सामने कोई औघड़ी-विद्या जानने वाला है! उसके आँखें तो फड़फडायीं लेकिन मुझसे नज़रें चुरा गया! अब वो कराल-नाच करने लगा! ये नाच औघड़ किसी चिता के सामने शराब पीने के लिए करते हैं! ये उन्मत्तावस्था कहलाती है! इस अवस्था में औघड़ किसी की बात नहीं सुन सकता केवल भूत-प्रेत आदि से ही वार्तालाप करता है! वो एकदम से पलटा और मुझे


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

देखा और गर्राया,”ओ औघड़! तू अभी बालक है! पढ़ाई के दिन हैं! काहे मरने को चला आया मेरे सामने?”

“बकवास न कर भुंडा? कायर! साले! अपने आप को कौलिक कहता है? लानत है तुझपर, आक्थू!” मैंने कहा और थूक दिया!

“क्या कहा तूने मुझे?” उसने आँखें फाड़ के देखा और पूछा,

“कायर!” मैंने कहा,

“कसम डबार की! तेरा खून पी जाऊँगा मै!” उसने गुस्से से कहा!

“कायर! मेरा खून पिएगा? अपने बाप का खून नहीं पिया तूने? उस हरामज़ादे बछेंद्र का?” मैंने दुत्कारा उसे!

“चुप कर! चुप कर!” उसने अपने कानों पर हाथ लगाया और बोला!

“क्या किया तूने बछेंद्र का?” मैंने पूछा,

“मुझे नहीं पता, मुझे नहीं पता!” उसने कहा और फिर से रो पड़ा!

“अब मै समझा! समझा! कि तू अधूरा क्यूँ है?” मै हंसा और बोला!

“चुप होजा! चुप होजा!” उसने कहा और रोते रोते मेरे सामने आया!

मेरे सामने आके खड़ा हो गया और फिर अचानक से उसने मेरा गला पकड़ लिया! दबाने लगा! मैंने छुडाने की कोशिश की तो शर्मा जी आये वहाँ और सोनू के बाल पकड़ के पीछा खींच उसको! मैंने उसके हाथ छुडाये और यहाँ शर्मा जी ने कस कस के दो तमाचे जड़ दिए उसे! वो नीचे गिरा तो शर्मा जी ने एक लात और मारी उसके सर पर!

वो उठा और भाग वहाँ से! शर्मा जी ने उसको पकड़ लिया और फिर उसे धक्का देकर ज़मीन पर गिरा दिया! वो चिल्लाया, “साले शर्मा! देख लूँगा तुझे और तेरे गुरु को, ठहर जा!”

उसके बाद उसने अपना अंगूठा मुंह में डाला और काट लिया! मई फ़ौरन ही समझ गया! मैंने शर्मा जी को वहाँ से भागने को कहा! अगर रक्त के छींटे शर्मा जी के ऊपर गिर जाते तो भयानक पीड़ा होती उनको और मुझे उन्हें ठीक करने में वक़्त लगता और वो भुंडा बाबा इसका फायदा उठा लेता!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

शर्मा जी वहाँ से भागे और मेरे पीछे आके खड़े हो गए! एक फांसला बना कर! भुंडा हंसा जोर जोर से!

वो मेरे करीब आया और अपने मुंह का रक्त मुझ पर थूक दिया! मुझ पर इसका कोई असर न हुआ! भुंडा बिफर गया! अनाप-शनाप बकने लगा!

“सुन औघड़?” उसने चुटकी बजा के कहा,

“बोल?” मैंने भी कहा,

“सुन, तू चाहता है मै इसको छोड़ दूँ?” उसने पूछा,

“हाँ, यही चाहता हूँ मै” मैंने कहा!

“अच्छा! तो सुन! मै इसके भाई के लड़के के बेटे को ले जाऊँगा फिर” उसने कहा,

“कहाँ ले जाएगा?” मैंने पूछा,

“अपने साथ” उसने कहा,

“अच्छा! इसीलिए तूने दिवाली से तीन दिन पहले का समय चुना था! द्वादशी की रात!” मैंने कहा,

“हाँ! उस दिन क्या होता है! मालूम है न?” उसने हंस के कहा,

“हाँ मालूम है!” मैंने कहा!

“मेरी मदद कर, मै इसको छोड़ देता हूँ अभी!” उसने कहा!

“कायर! सौदेबाजी करता है?” मैंने कहा उसको!

“हाँ!” उसने ठहाका मार के कहा!

“मै तुझे नहीं छोड़ने वाला भुंडा!” मैंने कहा,

“ओ बच्चे! तुझे खेल खिलाया है मैंने अभी तक!” उसने धमकी दी मुझे!

“और कुछ है तेरे पास तो वो भी दिखा दे?”मैंने कहा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

उसने फ़ौरन अपना एक नथुना, ऊँगली घुसेड़ के नाक में, बंद किया और एक मंत्र पढ़ा! ये स्राविका-मंत्रमाला होती है, शरीर के प्रत्येक छिद्र से रक्त-स्राव हो जाता है फ़ौरन!

मैंने फ़ौरन काट के इसकी! मैंने तुहर-मंत्र पढ़ा, अपने हाथ पर थूका और चाट लिया! उधर अपनी आँखें खोल कर भुंडा ने थूका मुझ पर! परन्तु प्रभावहीन!

 

अब बाबा भुंडा बैठ गया ज़मीन पर! जैसे चौकड़ी मार ली हो! अलख उठा ली हो! अब मैंने एक मंत्र जागृत किया और अपने हाथ में फूंक मार कर उसको भेजा भुंडा की तरफ! भुंडा ने जैसे हवा में से मक्खी पकड़ी हो और फिर उसको पकड़ के ज़मीन पर दे मारा! मंत्र-प्रहार विफल हो गया मेरा!

“देख औघड़! मेरा कमाल देखा अब!” उसने कहा!

उसने जैसे अलख में से कोई लकड़ी निकाली हो और उस से उसकी राख छुड़ा रहा हो, ऐसी भाव-भंगिमा बनायी उसने!

“ठुं ठुं भुम भुम’ का जाप किया उसने निरंतर!

ये सर्वहरण-विद्या का शीर्ष मंत्र है, पूर्ण होते ही सामने वाला खाली हो जाता है! मै उसकी ये चाल भांप गया! और मैंने अभेद्य-कन्वक मंत्र पढ़ डाला! पढ़ते ही ज्वर सा चढ़ गया मुझे! नेत्रों से अश्रु फूट पड़े जलन के मारे! सारी उँगलियों के पोर दर्द के मारे सूज गए! जैसे रक्त फूट पड़ेगा उनसे! परन्तु मुझे उसके मंत्र की काट करनी थी, विवशता थी! उसने फूंक के मंत्र-प्रहार किये, जैसे ही मुझ तक वो तीक्ष्ण-वेग आया मै नीचे गिर पड़ा! शर्मा जी भागे आये तो मैंने उन्हें वहीँ रोक दिया! मै फिर से खड़ा हुआ! भुंडा मुंह फाड़ फाड़ के हंस रहा था! बोला, “ले जिन्नू! जहां से चला था वहीँ आ गया!”

मेरे अभेद्य-कन्वक से मै बच गया था! मेरी पीड़ा शांत हुई! मै हंसा अब! मैंने पास राखी शराब की बोतल उठाई और मुंह से लगा कर गटक गया! ये देखा भुंडा भागा मेरी तरफ! मैंने एक लात जमाई उसको वो वहीँ थम गया!

“भुंडा! अब तू देख! देख मै तेरा क्या हाल करता हूँ!” मैंने कहा और फ़ौरन ही एक भयानक औघड़ी मंत्र पढ़ डाला! मैंने उसको पढ़कर थूका भुंडा पर! सच


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

कहता हूँ मित्रगण! थूक टकराते ही भुंडा हवा में उछला करीब चार फीट और दूर जा गिरा पुआल पर!

“आह! आह! मर गया! मर गया!” भुंडा कराहा!

मै आगे भागा वहाँ जहां भुंडा नीचे गिरा था पुआल पर! मैंने उसको उठाया उसके बाल पकड़ कर और एक तमाचा दिया उसको उसके गाल पर!

“आह! मर गया मै” वो चिल्लाया!

अब मै और शर्मा जी उसको उठाकर छान के नीचे ले गए, छान के शहतीर से बाँध दिया उसको! अब मै भुंडा की कहानी ही ख़तम करना चाहता था!

“हरामजादे भुंडा! तू ऐसे बाज नहीं आएगा!” मैंने कहा और एक लात उसकी जांघ पर मारी खींच के!

तभी कमाल हुआ!

वो चिलाया, “माँ! माँ! मुझे मार लिया! मुझे मार लिया इन दोनों ने!” कमाल ये कि ये आवाज़ अब भुंडा की नहीं, बल्कि सोनू की थी! क्या चाल चली थी भुंडा ने! कमीन भुंडा!

“अरे पुलिस बुलाओ, मुझे बचाओ इन दोनों से! ये मुझे मार डालेंगे!” सोनू चिल्लाया!

“साले! छिप गया अन्दर? आ बाहर?” मैंने एक तमाचा और दिया खींच के!

भुंडा नहीं आया!

अब मैंने शराब का एक और घूँट भरा! और एक मंत्र पढ़कर उल्ला कर दिया सोनू के चेहरे पर! भुंडा मजबूर हो गया आने को वापिस!

“छोड़ दे! छोड़ दे! काहे जान ले रहा है इसकी?” उसने हँसते हुए कहा,

“भुंडा! आखिरी चेतावनी है तुझे!” मैंने कहा,

“हा हा हा हा हा!” वो हंसा ये सुनके!

“भुंडा? तूने कहा था!” मैंने हंस के कहा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“क्या?” उसने पूछा,

“हंसा भी यहीं है!” मैंने कहा,

मेरा आशय फ़ौरन समझ गया भुंडा!

“क्या करेगा?” उसने पूछा,

“साली रंडी को पेश करूंगा खबीसों के सामने!” मैंने कहा!

“हरामजादे?” उसने गाली दी मुझे और तड़प सा गया!

“खींचूँ साली रंडी को?” मैंने कहा,

“तेरी ये हिम्मत?” उसने आँखें पूरी फाड़ के कहा!

“दिखाऊं हिम्मत?” मैंने धमकाया उसको!

“थू! लानत है तुझपर!” उसने थूकते हुए कहा!

 

“लानत की बात करता है कमीन भुंडा?” मैंने लताड़ा उसको!

“आक थू! लानत, लानत!” भुंडा ने मुंह टेढ़ा करते हुए कहा,

“लानत तो तुझ पर है भुंडा! तूने अपनी इच्छा के लिए इस बेचारे लड़के को हलाल किया है, और तेरी वजह से इसका सारा परिवार दुखी है, लानत है तुझ पर कुत्ते भुंडा!” मैंने कहा,

“अरे सुन! मेरी मदद कर मै छोड़ दूंगा इनको” उसने कहा,

“तेरी कोई औकात नहीं है, बे-औकात है तू भुंडा? तू वचन दे के भी मुकर जाएगा, झूठा तांत्रिक है तू भुंडा!” मैंने कहा,

“ओ औघड़! मेरा साथ दे, मै बदले में इसको छोड़ दूंगा” वो बोला!

“मै तेरा साथ नहीं दूंगा भुंडा!” मैंने गुस्से से कहा,

“तब तो वो मरेगा! हा हा हा हा!” उसने कहा और गला फाड़ के हंसा!

“न ये मरेगा और न वो!” मैंने उसको कहा!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“देख फिर” भुंडा ने कहा,

अब भुंडा ने एक मंत्र पढना आरम्भ किया! मैंने ध्यान से सुना वो मंत्र, ये कौलिक-महामूल मंत्र था! यदि वो उसको जागृत कर लेता तो मेरे लिए उस पर वार करना दुष्कर हो जाता! अतः मैंने में जम्भक-मंत्र पढ़ा और एक लाठी उठाकर उसके पेट पर खींच के मार दी! वो कराह पड़ा! लेकिन मंत्र पढना न छोड़ा उसने, मैंने लाठी का एक वार फिर से उसके पेट पर किया, ये वार काफी तेज था, बुरी तरह से कराह पड़ा भुंडा!

“भुंडा! आज तुझे पता चलेगा कि तूने कैसा पाप किया है!” मैंने कहा और उसके बालों से पकड़ कर उसका चेहरा देखा!

“एक काम कर औघड़!” उसने अब हाथ जोड़े!

“कैसा काम?” मैंने पूछा,

“तू चाहता है न कि मै इसको छोड़ दूँ?” उसने पूछा,

“हाँ!” मैंने लाठी दिखा के बताया उसको!

“तो एक काम कर, मुझे शमशान ले जा आज” उसने अब हाथ जोड़े दुबारा!

“क्या करेगा?” मैंने पूछा,

“मुझे पूरा कर दे औघड़” उसने विनती की!

“वो कार्य असंभव है भुंडा!” मैंने कहा,

“मेरे लिए कुछ असंभव नहीं” उसने कहा,

“नहीं! ये असंभव है अब भुंडा!” मैंने कहा,

वो अब रोया! गला फाड़ फाड़ के रोया!

“ओ चौन्सठी! मेरे साथ क्या किया तूने? मैंने जिंदगी भर तेरी अलखिया-पूजा की और मुझे ये फल? मै अधूरा रह गया!” उसने चिल्ला चिल्ला के कहा!

वहाँ छतों पर खड़े लोग कुछ समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर कौन चौन्सठी और क्या अधूरा-पूरा!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“अधूरा रहा तू अपनी गलती से भुंडा!” मैंने बताया उसे!

“नहीं! नहीं!” उसने तेज तेज गर्दन हिला के कहा!

“हाँ! तेरी गलती थी ये!” मैंने बताया उसको!

“नहीं औघड़ नहीं!” उसने फिर से रोना आरम्भ किया!

“मेरे साथ विश्वासघात हुआ!” उसने फफक फफक के बताया!

“कैसा विश्वासघात?’ मैंने पूछा,

“बछेंद्र और हंसा ने विश्वासघात किया” उसने बताया,

“हंसा ने भी?’ मैंने पूछा,

“हाँ! हरामज़ादी हंसा ने भी!” उसने मुझे आँखों में आंसू लिए घूर के कहा!

“अच्छा! अब मै समझा! तुझे आयु चाहिए! ताकि तू फिर से पूरा हो सके!” मैंने कहा,

“हाँ! मेरी मदद कर औघड़, मुझे बदला लेना है!” उसने कहा,

“किस से बदला?” मैंने पूछा,

“दोनों से” उसने कहा,

“दोनों से?” मैंने हैरत से पूछा,

“हाँ! हंसा मेरे पास है, लेकिन बछेंद्र नहीं” उसने बताया,

“वो कहाँ है?” मैंने पूछा,

“वो हराम का जना आज भागलपुर में है” उसने गुस्से से कहा,

“तू हंसा को कब लाया?” मैंने पूछा,

“तीन दिवाली पहले” उसने बताया,

“तूने क़लम किया उसको?” मैंने पूछा,

“नहीं!” उसने बताया,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“फिर?” मुझे हैरत हुई उसकी अजीबोगरीब कहानी जानकर!

“बौगट बाबा ने क़लम किया उसको” उसने अब फिर से रोना शुरू किया!

“ये कौन है बौगट बाबा?” मैंने पूछा,

“मेरा सबसे बड़ा दुश्मन है ये, औघड़!” उसने बताया,

“तेरा क्या रिश्ता उस से?’ मैंने पूछा,

“बछेंद्र का सबसे बड़ा और प्यारा चेला!” उसने बताया!

“ये भी भागलपुर में है?” मैंने पूछा!

“हाँ!” उसने बताया,

“हम्म! इसका मतलब, बछेंद्र के कहने पर तुझे और हंसा को क़लम किया गया! और क़लम किया बौगट ने, बछेंद्र के कहने पर! यही न?” मैंने कहा!

“हाँ! ओ चौन्सठी!” वो चिल्लाता रहा!

मित्रगण! ये था रहस्य इस कौलिक बाबा भुंडा का! ये प्रतिशोध की अग्नि में धधक रहा था! हंसा इसके पास ही थी, लेकिन ये क़लम करना चाहता था बौगट और बछेंद्र को! यही था इसका उद्देश्य!

अब मुझे सूझ-बूझ से काम लेना था! दो जिंदगियां तलवार की धार पर थीं!

 

“भुंडा! तेरा प्रतिशोध केवल तेरे जीवित रहने तक ही सीमित था! अब या तो बौगट या बछेंद्र तुझे नहीं छोड़ने वाले! अब तेरे पास अन्य कोई विकल्प शेष नहीं!” मैंने उसको बताया!

“ऐसा न कह औघड़!” उसने कहा,

“ये सच है भुंडा!” मैंने कहा,

“मै जानता हूँ औघड़! मै सब जानता हूँ!” उसने हंस के कहा!

“जानता है तो ये जिद छोड़ दे भुंडा!” मैंने कहा!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

“देख औघड़! मै तो प्रतीक्षा कर रहा था!” वो हंसा अब जोर जोर से!

“प्रतीक्षा? कैसी प्रतीक्षा भुंडा?” मैंने पूछा,

“मै जानता था, कोई मेरी मदद-इमदाद नहीं करेगा! इसीलिए मै इसके ऊपर सवार हुआ! तूने त्रिक्खी काटी मेरी! मै प्रसन्न हुआ!” उसने हँसते हुए कहा!

“इसका क्या अर्थ हुआ?” मैंने पूछा,

“जो मेरी त्रिक्खी काट सकता है वो मेरा कार्य भी अवश्य ही कर सकता है!” भुंडा ने कहा!

“अब मै समझा!” मैंने विस्मित होकर कहा!

“हाँ! अब समझा न! कैसी प्रतीक्षा!” वो अब बुरी तरह से हंसा!

“समझ गया भुंडा!” मैंने कहा,

“अब मुझे खोल ज़रा, मै समझाता हूँ तुझे!” उसने कहा,

“सुन भुंडा, मै ये काम नहीं करूँगा!” मैंने कहा,

“क्या? एक औघड़ दूसरे औघड़ का काम नहीं करेगा?” उसने हैरत से पूछा!

“हाँ! नहीं करूँगा!” मैंने कहा,

“नहीं! ऐसा मत कह! मुझे चैन नहीं आएगा!” उसने कहा और फिर से रो पड़ा!

मै उसकी हालत समझ सकता था! उसने मुझे जांच-परख लिया था! वो चाहता था कि मै उसका काम करूँ! मै बौगट और बछेंद्र को क़लम करूँ! परन्तु मै ऐसा करने में असमर्थ था! ये अनुचित था!

“ओ चौन्सठी!! मैय्या! मुझे बचा!” वो चिल्लाया अब!

“सुन कौलिक भुंडा, मै ये काम नहीं करूँगा!” मैंने उसे फिर से गुस्सा दिलाया!

“ऐसा न बोल!” वो गुस्से से बोला!

“मान ले भुंडा! मान ले! तेरा वक़्त ख़तम हुआ” मैंने कहा,


   
ReplyQuote
Page 2 / 3
Share:
error: Content is protected !!
Scroll to Top