वर्ष २०११ भोपाल की ...
 
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वर्ष २०११ भोपाल की एक घटना

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श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
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Topic starter  

से स्वर नहीं निकला, उसने अपने दोनों हाथ मेरे समक्ष फैला दिए और अपने अंगूठे मोड़ कर मुझे नमस्कार किया, मैंने उसके अंगूठों को उसके हाथ से निकाला और उसको नमस्ते करके बाहर आ गया! उसके अंगूठे मोड़ने का प्रयोजन उसको अपना शिष्य बनाना था, मैंने अंगूठे उसके बाहर निकाल कर उसको अपना उत्तर दे दिया था! 'नहीं ये संभव नहीं'

------------------------------------------साधुवाद-------------------------------------------

 


   
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(@thakur-rajesh)
Eminent Member
Joined: 8 months ago
Posts: 21
 

कोटिशः नमन प्रभु 🌹🙏🏻🌹


   
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