वर्ष २०११ दिल्ली की...
 
Notifications
Clear all

वर्ष २०११ दिल्ली की एक घटना

21 Posts
1 Users
0 Likes
100 Views
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

“आ रहा है”, गर्दन हिला कर बोला वो,

वो लेट गया!

नशा बहुत किया था उसने! बार बार थूके जा रहा था!

हमने इंतज़ार किया, और करीब आधे घंटे में एक लुंगी और कुरता पहने एक बूढा सा आदमी वहाँ आया, उसकी उम्र भी साथ के आसपास थी! हफ़्तों से शायद दाढ़ी भी नहीं बनायी थी उसने, उसको भी नशा था! झूमते झूमते आ गया वहाँ! मुझे देखा! फिर शर्मा जी को देखा!

“आदेश!” मैंने तांत्रिक कूट भाषा का प्रयोग किया!

“आदेश” उसने भी कहा,

“जय हो फक्कड़ बाबा की!” शर्मा जी ने हाथ जोड़कर कहा!

“कौन हो बाबू जी आप लोग?” उसने पूछा,

“भक्त हैं जी आपके” शर्मा जी ने कहा,

अब वो चाल भांपा!

“अच्छा, आपने ही धनी राम को पीटा था न? है न?” उसने पूछा,

“जी मैंने नहीं इन्होने” शर्मा जी ने कहा मेरी तरफ इशारा करते हुए!

उसने मुझे हाथ जोड़े!

“आ गए आप लोग!” फक्कड़ बोला,

“हाँ जी” शर्मा जी ने कहा,

“आओ, बैठो” उसने कहा और एक प्लास्टिक से बना बिछावन सा बिछा दिया! हम बैठ गए!

वहाँ खर्राटे बज रहे थे बाबा नौबत के!

“बाबा ऐसा क्यों किया?” मैंने पूछा,

कुछ देर चुप रहा!

“बेटी के हाथ पीले करने थे बिज्जे ने, एन वक़त पर आ गया ज़मीन खाली करवाने वो वहाँ जो गाड़ी में बैठा है” उसने कहा,

“फिर?” मैंने पूछा,

“अब घर नहीं रहा तो रिश्ता टूटना ही था, टूट गया, आदमी अच्छा था, बेघर हो गया, मुझे आसरा दिया था उसने” फक्कड़ ने कहा,

अब मै समझ गया!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

रंजिश का कारण!

“लेकिन बाबा आपने दिलीप को छोड़ दिया, और उसकी पत्नी को लपेट दिया, क्यों?” मैंने पूछा,

“लपेटा, लेकिन मारा नहीं, इलाज में पैसे खरच करवाये उसके, उसको भी, परेशानी कैसी होती है, पता चलवाया” फक्कड़ ने कहा,

एक तरह से सही कहा बाबा फक्कड़ ने!

अब कुल्ला किया बाबा ने! फिर दांत में फंसा हुआ अन्न निकाला और फिर कुल्ला किया!

“वो आदमी गलत है बहुत, किसी की बहू बेटी नहीं छोड़ी उसने” बाबा ने कहा,

अब तो मुझे भी गुस्सा आया, कि मै किसकी मदद करने आ गया?

“बस कुछ दिनों बाद वो लड़की ठीक हो जाती और मै इसको लपेटता, फिर ये हरामज़ादा कबूल करता कि क्या किया है इसने, अपने मुंह से, अब आप लोग आ गए बीच में, अच्छा नहीं किया आपने” बाबा ने कहा और मुझे दुविधा में डाला!

 

नौबत बाबा ने करवट बदली तो खर्राटे बंद हुए! नहीं तो धौंकनी सी चल रही थी!

“मुझे नहीं पता था बाबा” मैंने कहा,

“मैं जानता हूँ” बाबा ने कहा,

“मुझे अफ़सोस है उस लड़की की शादी का, अब कहाँ रहती है वो और बिज्जै?” मैंने पूछा,

“फरीदाबाद की झुग्गियों में” बाबा ने कहा,

“ब्याह हुआ उसका?” मैंने पूछा,

“नहीं” बाबा ने कहा,

“ओह” मेरे मुंह से निकला,

अब मैंने शर्मा जी को देखा और हमारी आँखों ही आँखों में बात हुई!

“बाबा अगर लड़की का ब्याह हो जाए?” मैंने कहा,

“बिन बसेरे के कौन करेगा?” कहा बाबा ने,

बात सही थी! भले ही किराये का हो!

बाबा ने अब सारी बात खुल के बतायी! मुझे बहुत गुस्सा आया दिलीप पर!

मैंने तभी तीन सौ रुपये दिए बाबा को और कहा, “बाबा अगर बसेरा भी हो जाए तो?”

बाबा समझ गए!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

“आप अपना फ़ोन नंबर दे दो मुझे, मैं बिज्जै से बात करूँगा और फिर आपसे बात करूँगा” बाबा ने कहा और रुपये ले लिए!

शर्मा जी ने नंबर एक कागज़ पर लिख कर दे दिया! बाबा ने रख लिया!

“ठाक है बाबा” मैंने कहा

अब उठ गए हम वहाँ से!हम अब चले वहाँ से, रास्ते में शर्मा जी ने कहा, “अनिल से बात करते हैं, दिलीप के सामने, देखते हैं क्या होता है”

“हाँ, सारी बातें खोल दो” मैंने कहा,

“ठीक है” वे बोले,

और अब हम चल पड़े गाड़ी की तरफ!

दोनों बैठे हुए थे, गाड़ी में, हमारा इंतज़ार करते हुए!

बेसब्री से!

हमे देख बाहर आये,

हम फिर से गाड़ी में जा बैठे,

अब शर्मा जी ने प्रश्न करने आरम्भ किये.

“दिलीप?” वे बोले,

“हाँ जी” वो बोला,

“जहां से आपने जो ज़मीन खाली करवायी थी वहाँ कोई बिज्जै नाम का आदमी था?” उन्होंने पूछा,

“हाँ जी, वही लोग थे जिन्होंने कब्ज़ा किया था” वो बोला,

“बिज्जै ने तुमसे कहा था क्या कि लड़की की शादी हो जाने दो, उसके बाद वे चले जायेंगे?” उन्होंने पूछा,

“ये तो जी इन लोगों की चाल होती है” वो बोला,

“अच्छा, तो वो झूठ बोल रहा था?” उन्होंने पूछा,

“झूठ ही बोल रहा होगा” वो ढीठ इंसान बोला!

“तब मैं कोई मदद नहीं कर सकता” मैंने कहा,

कांच दरका एकदम!

“चलो अनिल जी, वापिस चलो दिल्ली” मैंने कहा,

“जी” अनिल ने कहा और गाड़ी स्टार्ट कर दी!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

हवाइयां उड़ गयीं दिलीप के चेहरे पर!

“क्या हुआ साहब? कुछ तो बताओ?” वो बोला,

अब तक गाड़ी मुड़ चुकी थी,

हम चल पड़े दिल्ली की ओर!

“क्या हुआ गुरु जी?” दिलीप ने पूछा,

“कुछ नहीं” मैंने कहा,

साँसें अटक गयीं उसकी!

अब भुगतने दो परिणाम उसको!

 

रास्ते भर बहुत बेचैन रहा दिलीप! आखिरकार उसके सब्र का बाँध टूट गया! किसी अनहोनी के घटने की कल्पना कर उसके रोंगटे खड़े हो गए! छुओ तो बस रोने को तैयार वो!

“गुरु जी, बताइये, क्या हुआ?” उनसे पूछा,

“अभी अनिल जी के यहाँ पहुँच जाएँ तो बताता हूँ” मैंने कहा,

“यहीं बता दीजिये” उसने कहा, उस से रहा नहीं गया!

“दिलीप साहब! बिज्जै ने गलत नहीं कहा था, उसकी लड़की का रिश्ता तय हो चुका था, बस कोई पंद्रह दिन बाद ब्याह था, लेकिन आपने उसके पिता को जहां बेघर किया वहीँ उस बेचारी लड़की का रिश्ता भी टूट गया, ये सब आपके कारण हुआ” मैंने कहा,

रुआंसा वो!

चेहरा फड़कने लगा, आंसू बहने लगे उसके!

कहीं न कही सोयी हुई इंसानियत जाग उठी उसके मुर्दाघर में, सांस पड़ गयी!

“अब?” उसने पूछा,

“और सुनो, उसने दो गरीब बाबाओं को अपने घर आसरा दिया था, वो दोनों तांत्रिक हैं, बाबा फक्कड़ को जब ये पता चला तो उसी दिन से आपके दिन खराब होने लगे, वो चाहता तो अब तक आपको मार सकता था, किसी को पता नहीं चलता, कोई भी गला घोंट देता आपका, या कोई दुर्घटना करा देता, लेकिन उसने आपको नहीं आपकी पत्नी को मोहरा बनाया, उसने उसको मारा नहीं, बस मानसिक रूप से विक्षिप्त कर दिया, दवा ने असर करना बंद कर दिया, आपके पैसे लगने लगे, आपको घमंड है न पैसे पर, तो उस फक्कड़ ने आपके पैसे ही खर्चवाए!” मैंने कहा,

“मुझे माफ़ कर दो” उसने कहा, रोते रोते!

“एमी कौन होता हूँ माफ़ करने वाला दिलीप साहब! अब वो आपके ऊपर क्रिया करेगा, न रहेगा बांस और न रहेगी बांसुरी, हाँ रश्मि अब बिलकुल ठीक है, अरे गरीब के पास पैसा नहीं इंसानियत तो है?? घबराइये नहीं, आपको मारेगा


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

नहीं, लेकिन ज़िंदा भी नहीं छोड़ेगा, देखते हैं पैसा जीतता है या फिर वो बाबा फक्कड़, मुझे अभी से इस मामले से बाहर रखिये” मैंने साफ़ साफ़ कह दिया!

भविष्य की कल्पना करके वो घबरा गया! वो तो गाड़ी में छत थी नहीं तो रोते रोते उड़ ही जाता!

“मुझे बचा लो गुरु जी!” उसने अपना सर मेरे घुटनों में रख दिया! आंसू बह निकले! बुरी तरह से रोया!

आखिर मुझे भी तरस आ गया!

प्रायश्चित का भी स्थान है जीवन में!

“सुनो दिलीप?” मैंने कहा,

“जी गुरु जी?” वो बोला,

“अपनी गलती मानते हो?” मैंने कहा,

“हाँ गुरूजी” बुक्का फाड़ रोये वो!

“ठीक है, शर्मा जी बता दो इनको” मैंने कहा,

“सुनो दिलीप, तुम्हारी वजह से उस लड़की का ब्याह नहीं हुआ, बेघर हुए और उन दोनों बूढ़ों का हाल आज हमने देखा, सब तुम्हारी वजह से” वे बोले

“जी, मैं मानता हूँ” वो बोला रोते और खांसते हुए!

“उस कन्या का ब्याह हो जाए और उसके परिवार को एक जगह मिल जाए भले ही किराए पर, बिज्जै किराया भी दे देगा” शर्मा जी ने कहा,

“मैं किराया नहीं लूँगा, जब तक वो रहे!” रो रो के बुरा हाल!

“मंजूर है?” शर्मा जी ने पूछा ,

“हाँ गुरु जी” वो बोला,

अब सारी बात बता दी शर्मा जी ने!

मित्रगण!

तीसरे दिन फ़ोन आ गया फक्कड़ बाबा का! हम मिलने चले गये! मैं, शर्मा जी, अनिल जी और दिलीप!

और फिर!

जाते ही पाँव में गिर पड़ा दिलीप फक्कड़ बाबा के! बाबा ने उठाया और माफ़ कर दिया! शर्मा जी ने सबकुछ बता दिया!

उसी दिन बिज्जै के रहने का प्रबंध करवा दिया दिलीप ने, उन दोनों बूढ़ों को भी जगह मिल गयी!

तीसरे महीने बिज्जै की लड़की का ब्याह हो गया! हम भी गए! हमने यथासम्भव कन्या-दान किया! हाँ, सारा खर्च दिलीप ने किया! ये उसका प्रायश्चित था!


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
Posts: 9486
Topic starter  

लड़की अपने घर की हो गयी!

बिज्जै और उन दोनों को घर मिला,

रश्मि ठीक,

दिलीप को जीवन दान मिला!

अनिल जी और ज्योति खुश हुए!

और हमे मिला आत्मसुख!

और क्या चाहिए मित्रगण!

कर्त्तव्य से कभी न भागिए! कभी विमुख न होइए! निर्धन को कभी न सताइये! मजबूर का कभी लाभ न उठाइये बल्कि मदद कीजिये! स्व्यं भूखा रखकर बेज़ुबान और भूखे को भोजन कराइये! अपना जो वस्त्र मैला होता हो किसी निर्धन को छू कर तो ऐसा वस्त्र त्याग दीजिये! धन, शरीर, काया, रंग, जाति, वर्ण आदि पर कभी दम्भ न कीजिये! चिता भूमि में कुछ नहीं जाएगा! वहाँ आलीशान बिस्तर या गद्दा नहीं लकड़ियां मिलेंगी किसी लक्कड़हारे की काटी हुई! जिस प्रकार अग्नि किसी में भेद नहीं करती उसी प्रकार किसी से भेद नहीं कीजिये!

जो मेरा कर्त्तव्य था, वो निभा दिया! अब छतरी वाला जाने!!

साधुवाद!


   
ReplyQuote
Page 2 / 2
Share:
error: Content is protected !!
Scroll to Top