वर्ष २००८ जिला देहर...
 
Notifications
Clear all

वर्ष २००८ जिला देहरादून की एक घटना

5 Posts
1 Users
2 Likes
250 Views
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

मुझे वो रात्रि आज भी याद है! ताबड़तोड़ बरसात हो रही थी! अँधेरा और साँय-साँय चलती तेज हवा! हम एक छोटे से रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में बैठे थे! यहाँ इक्का-दुक्का गाड़ियां ही रूकती है, हमारी गाडी देर से पहुंची थी, पहुंचना था रात १० बजे लेकिन पहुंचे रात २ बजे! हमको लेने आये हुए सज्जन भी यही हमारा इंतज़ार कर रहे थे! बारिश के कारण वो भी फंस गए थे यहाँ! स्टेशन के बाहर सैलाब बन चुका था! और एक दो यात्री भी उसकी वेटिंग रूम में बैठे हुए थे! बेहद शान्ति थी यहाँ! कोई किसी से बात नहीं कर रहा था! बस चमकती हुई बिजली कि कौंध कभी-कभार खिड़की से होती हुई हम ५ लोगों के चेहरों से टकरा जाती थी! थोड़ी देर बाद जो सज्जज हमको लेने आये थे, जिनका नाम, दीपक था, उन्होंने चुप्पी तोड़ी, बोले, "कमाल हो गया आज तो! इससे तेज बरसात इस मौसम में पहले कभी नहीं हुई!"

"हाँ आज तो बारिश ने कमाल कर रखा है!" शर्मा जी बोले,

"हाँ, अभी तीन बजे हैं! अब सुबह तक यहीं रुकना पड़ेगा, लगता है!" दीपक बोला,

"कोई बात नहीं दीपक साहब, अब जब आ ही गए हैं तो रुक भी लेंगे!" शर्मा जी बोले,

"यहाँ तो कोई चाय-वगैरह कि व्यवस्था भी नहीं है, रुकिए मै देख के आता हूँ" वो बोले और बाहर चले गए!

दीपक एक सहकारी-मंडी में कार्य करते थे, रिटायरमेंट कि उम्र भी आ चुकी थी उनके, अगले वर्ष रिटायरमेंट थी उनकी! एक बेटी वो ब्याह चुके थे, एक लड़का ब्याह दिया था, अब घर में सबसे छोटी लड़की रह गयी थी ब्याहने लायक! उसी लड़की की शादी थी ये! हम उसी लड़की कि शादी के निमंत्रण में यहाँ आये थे! बाकी सारी ज़िम्मेवारियों से फारिग हो चुके थे वो!

थोड़ी देर में वो गरमागरम चाय ले आये! हमने चाय पी! तभी जोरदार बिजली कडकी! बाहर मेरी नज़र गयी! मैंने देखा था, एक पल के लिए, रेलवे ट्रैक के परली पार एक औरत  खड़ी थी! ये ट्रैकडबल था, और हमसे कोई ४०-५० मीटर होगी! उसके साथ एक लड़की भी खड़ी थी, लड़की ने अपने दोनों हाथों से उस औरत का एक बाजू पकड़ रखा था! लेकिन इस लड़की का सर नहीं था, कपडे रक्तरंजित थे! और औरत के हाथ भीख मांगने के अंदाज़ में मुड़े थे!

मैंने जो कुछ देखा, उसका विवरण किसी को नहीं दिया, न दीपक को और न ही शर्मा जी को, मै वहाँ एकटक देखता रहा!

कोई २० मिनट के बाद फिर बिजली कौंधी! मैंने फिर से वही देखा जो पहले देखा था! वही दृश्य! जैसे की कोई मूर्तियाँ खड़ी हों! मै वहाँ से खड़ा हुआ, बाहर आया, मेरे पीछे शर्मा जी भी आ गए, मैंने उनको हाथ के इशारे से वह दिखाया और सारी बात बता दी!


   
Quote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

मै और शर्मा जी, टकटकी लगा के वहाँ देख रहे थे, मैंने एक व्योम-दृष्टि मंत्र से शर्मा जी की आँखों पर फूंक मारी! अगर अबके बिजली चमकी तो वो दिखाई देंगे! कोई ४५ मिनट बीते होंगे! बिजली कौंधी! इस बार वो औरत और लड़की तो दिखाई दी ही, साथ में लोग और दिखाई दिए! दो के सर कटे थे और तीसरा उनके पीछे, सर पर एक गठरीनुमा पोटली सी लिए खड़ा था! औरत के हात वैसे ही थे जैसे की पहले थे, हाँ लड़की ने अपने दोनों हाथ अबकी बार सामने को उठाये हुए थे! औरत होगी कोई ५० वर्ष की और लड़की कोई २०-२२ वर्ष की! उसके बदन की कद-काठी से ऐसा ही लग रहा था! गठरी उठाये हए वो मर्द भी अधेढ़ था, और वो जो दूसरे सर कटे थे वो भी २०-२२ वर्ष के रहे होंगे! मैंने घडी देखी तो पौने पांच का वक़्त हो गया था! फिर एक बार बिजली कौंधी! लेकिन इस बार वहाँ कोई नहीं था! ये एक रहस्य था! हम दोनों फिर वहाँ से अन्दर आ गए, अन्दर बैठे लेकिन नज़र बराबर वहीं टिकी थी!

"क्या है वहाँ गुरु जी? कुछ देख-दाख लिया क्या?, दीपक ने पूछा,

मैंने दीपक को सारी बात बतायी! दीपक ने कहा, "गुरु जी, ये तो रेलवे ट्रैक है, कोई कट-कटा गया होगा! आप तो समर्थ हैं, आपको दिख गयीं वो आत्माएं, हमे तो कुछ पता नहीं!"

पास बैठे जो दो लोग थे उन्होंने भी हमारी बातें सुनी थीं, वो अपनी कुर्सी खिसका के हमारे पास आ गए! उनमे से एक बोला, " जी मै कुछ कहूँ?

शर्मा जी ने उसको देखा और कहा, "हाँ हाँ भाईसाहब आप कहें!"

"आपको एक सर कटी लड़की दिखाई दी होगी?" उसने कहा,

मैंने और शर्मा जी ने एक दूसरे की तरफ देखा, तो फिर शर्मा जी बोले, "हाँ जी, क्या आपने भी देखी है वो?

"हाँ भाई साहब, अक्सर वो बरसात की रात को यहाँ दिखाई देती है, किसी को कुछ कहती नहीं बस यहाँ-वहाँ घूमती रहती है, मैं ये कोई १५ सालों से देख रहा हूँ, मैंने उसको देखा है कई बार!" उसने कहा,

"लेकिन उसके साथ जो हैं? वो कौन हैं? उनको देखा है किसी ने?" शर्मा जी ने पूछा,

"जी उसके साथ वालों को कभी नहीं देखा!" उसने बताया,

"आप क्या काम करते हैं? शर्मा जी ने पूछा,

"जी मै पोस्ट ऑफिस में काम करता है, उसी सिलसिले में यहाँ आया था, जिस गाडी से आप उतरे थे, मै भी उसी से उतरा था, मेरा यहाँ आना-जाना होता रहता है" उसने बताया,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

घडी देखी तो ६ बज चुके थे, एक गाडी आके रुकी थी वहाँ, चहल-पहल शुरू हो गयी थी, वो आदमी उठा, हाथ मिलाया और चल पड़ा गाडी की तरफ!

बारिश भी अब धीमी हो चुकी थी, हम भी बाहर आ गए! एक एक कप चाय और पी! पानी भर गया था हर जगह! लेकिन दीपक जे जहां अपनी जीप खड़ी की थी, वहाँ एक शेड थी, कुछ बचाव हो गया था! हम नीचे आये और गाड़ी में बैठ गए! दीपक ने गाडी स्टार्ट की और वहाँ से निकल पड़े!

कीचड भरे रास्तों से लोहा लेकर आखिर हम दीपक के घर पहुँच गए! वहाँ चहल-पहल थी! लोग आये हुए थे! हमारा काफी सत्कार हुआ वहाँ! अब बारिश रुक चुकी थी, हमने वहाँ थोडा आराम किया और फिर नहाजे-धोने का कार्यक्रम बनाया! गरमगरम दूध दिया गया! दूध पिया और उसके बाद थोडा आराम करने चले गए! रात भर सोये नहीं थे, थकावट हुई पड़ी थी, लेटते ही नींद आ गयी!

जब जींद खुली २ बज रहे थे! दीपक ने  खाना खाने के लिए बुलाया था! हम वहाँ गए और खाना खाया! उसके बाद मै और शर्मा जी ज़रा खुले में टहलने चले गए! बारात कल आनी थी, तभी मेरे दिमाग में एक ख़याल आया, क्यूँ न स्टेशन जाकर वो रहस्य सुलझाया जाए? मैंने शर्मा जी को कहा, उन्होंने भी हामी भर ली! हम वहाँ से वापिस आये और दीपकसे  उसकी जीप ली, और हम फिरसे स्टेशन की तरफ चल पड़े,रास्ते अभी भी खराब थे! किसी तरह फिर से हम आगे बढे!

हम कोई आधा घंटे में स्टेशन पहुँच गए, स्टेशन छोटा था, ये कस्बा भी छोटा सा था, इसीलिए स्टेशन पर तभी भीड़ होती थी जब वहाँ कोई गाडी वगैरह आती थी, नहीं तो स्टेशन सूना पड़ा रहता था, जब हम वहाँ गए तो स्टेशज सूना ही पड़ा था, हम अन्दर आये, प्लेटफार्म-टिकेट लेने खिड़की पर गए तो कोई नहीं था, हम फिर भी अन्दर चले गए!

अन्दर आये तो उसी जगह खड़े हुए जहां हमको पिछली रात वे लोग दिखाई दिए थे!

हमने वो रेलवे ट्रैक्स पार किये और दूसरी तरफ पहुँच गए! दूसरी तरफ देखा तो वहाँ एक बड़ा सा तालाब था, काफी बड़ा, प्राकृतिक तालाब! अर्थात वहाँ कोई मछली-पालन आदि वाली कोई बात नहीं थी, तालाब का पानी भी खराब था, और रात की बारिश के बाद उसमे पानी और अधिक भर गया था!

मै और शर्मा जी एक पतली सी डगर पर नीचे उतरे, देखा तो वहाँ भी पानी पड़ा था, वहाँ जाने का ख़याल छोड़ कर हम रेलवे ट्रैक्स के साथ साथ आगे बढ़े, वहाँ कुछ खेत से थे, और एक डगर भी थी, वहां से आगे देखा तो कोई आधा किलोमीटर दूर मैंने गाड़ियाँ जाते देखीं, इसका मतलब, उस तरफ कोई सड़क थी, मैंने शर्मा जी को वापिस लिया, वापिस स्टेशन पर आये और


   
rajeshaditya reacted
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

एक चाय वाले से उस सड़क तक गाडी समेत पहुँचने का रास्ता पूछा, उसने जैसा बताया, हम वैसे ही चले, कोई पौने घंटे के बाद हम उस सड़क पर आ गए!

अब ये तालाब रेलवे ट्रैक्स और सडक के बीच में था, हमने अपनी गाडी अन्दर मोड़ी, उतरे और तालाब के पास तक गए! तालाब के एक किनारे पर मैंने खड़े हो कर जायजा लिया, कि वे लोग हमको कहाँ मिले थे, अब आगे जाके मै उस जगह के समानांतर खड़ा हो गया! मैंने मंत्र पढने शुरू किये और अपनी आँखें खोल दी! आँखे खुलते ही मेरे सामने तालाब में कुछ शव पड़े दिखाई दिए, मैंने गिनती की तो पांच शव थे वहाँ!

मैंने शर्मा जी की आँखों पर मंत्र पढ़ा,उनको भी वही दिखाई दिए! लेकिन उनमे से केवल २ के सर दिखाई दे रहे थे, बाकी के नहीं! रहस्य गहराया! मैंने तभी एक और मंत्र पढ़ा! और आँखें बंद कीं मुझे कुछ स्वर सुनाई दिए कराहने के,रोने के, और चिल्लाने के चिल्लाता हुआ स्वर किसी लड़की का था, और कराहते हुए स्वर मर्दाना!

मैंने तब वहाँ अपने एक प्रेत को प्रकट किया! उसको मैंने वहां की सारी जानकारी देने के लिए कहा, प्रेत ने ३ चक्कर लगाए उस तालाब के, फिर उड़ चला, करीब १० मिनट के बाद वो वापिस आया, उसने बताया 'यहाँ पर लोग हैं, जिनके नाम प्रदीप, कुंती,मेघा,अतुल और राहुल हैं, ये सभी तीर्थ-यात्री थे, वर्ष १९८० की एक रात को जब ये लोग पैदल-यात्रा कर रहे थे तो एक तेज आते ट्रक की चपेट में आ जाने से ये ७ लोग मारे गए, आनन्-फानन में उस ट्रक ड्राईवर और उसके २ हेल्परों ने इनको उठा कर इस तालाब में फेंक दिया,ये सोच कर कि अगर लाशें ही नहीं होंगी तो जांच भी नहीं होगी! इनमे से ३ एक ही परिवार के हैं और दो लोग दूसरे परिवार के! बड़ा दर्दनाक अंत था, मैंने प्रेत को वापिस भेज दिया और इनको जगाने की सोची, मैंने श्रुतभंगमंत्र पढ़ा, इससे उनकी प्रेतात्माएं वहाँ पानी के मध्य से प्रकट हुई, उस लड़की मेघा और अतुल केसर नहीं थे, हाँ अतुल का पिचका सर उसके धड से चिपका था! ये सभी प्रेतात्माएं मेरी ओर बड़े गौर से देख रही थीं! मैंने उस औरत को अपने पास बुलाया और पूछा, "क्या नाम है तेरा?"

"कुंती" वो बोली,

"कब से है यहाँ?" मैंने पूछा,

"२८ बरस हो गए" उसने बोला,

"वो हरे कपडे में तेरी लड़की है?" मैंने कहा,

"हाँ" उसने उत्तर दिया,

"तू मुझे दिखाई दी थी, उस दिन, बारिश के रोज़, तू और तेरी लड़की, है न? मैंने पूछा,


   
ReplyQuote
श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 2 years ago
Posts: 9491
Topic starter  

"२८ बरस हो गए" उसने बोला,

"वो हरे कपडे में तेरी लड़की है?" मैंने कहा,

"हाँ" उसने उत्तर दिया,

"तू मुझे दिखाई दी थी, उस दिन, बारिश के रोज़, तू और तेरी लड़की, है न? मैंने पूछा,

"हाँ" उसने कहा,

"मुझसे क्या चाहते हो?" मैंने पूछा,

"निकाल दो बाबू यहाँ से" उसने कहा,

"कितने लोग हो तुम? मैंने फिर पूछा,

"9 लोग" उसने उत्तर दिया,

"ठीक है, मै कल आऊंगा तुम्हारे पास, तुमको मुक्त करने!" मैंने कहा,

उसने कोई उत्तर नहीं दिया, बस अपने हाथ एक भिखारी की तरह फैला दिए मेरे सामने! मै समझ गया था, क्यूँ वो मुझे पिछली रात नज़र आये थे! मै पीछे पलटा और शर्मा जी को लेकर अपने साथ गाड़ी में बैठा, गाडी में मैंने शर्मा जी को सारी बातों से अवगत करा दिया! वो बोले, "गुरु जी, ये महा-पुण्य का कार्य है, इनको मुक्त कर दीजिये आप!"

मै अगले दिन वहाँ फिर आया, मैंने अपने एक प्रेत से उनके अवशेष का एक-एक टुकड़ा लेने भेजा, वो ले आया, मैं उसपर क्रिया आरम्भ की, और वो अवशेष एक एक करके वायु में विलीन हो गए! जिसका अवशेष विलीन होता था, वो आत्मा मुक्त हो जाती थी! मैंने सभी को मुक्त कर दिया!

मुझे इसीलिए यहाँ आना था! अगर वो बारिश न होती तो मै वहाँ नहीं ठहरता! अगर नहीं ठहरता तो मेरी नज़र इनपर नहीं पड़ती और न जाने कितने सालों तक ये यहीं भटकते रहते!

आज भी यदि मै ट्रेन से उस ट्रैक पर जाता हूँ तो बरबस मेरी निगाह उसी तालाब पर टिक जाती है!

--------------------------------साधुवाद------------------------------------- 


   
rajeshaditya reacted
ReplyQuote
Share:
error: Content is protected !!
Scroll to Top