वर्ष २००८ ग़ाज़ियाबाद...
 
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वर्ष २००८ ग़ाज़ियाबाद की एक घटना

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श्रीशः उपदंडक
(@1008)
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Joined: 8 months ago
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बस जी लड़की ठीक हो जाए, फिर उसका ब्याह कर के मै तो फारिग हो जाऊं” सुरेश ने कहा,

“रिश्ता भी हम ही करा देंगे, चिंता ना करो” उसने कहा,

“जी आपका धन्यवाद!” सुरेश ने कहा,

“वैसे जोगीराज जी, उस लड़की को हुआ क्या है?” अब मैंने पूछा,

“उस पर किसी ने मसान छोड़ दिया है” उसने बताया,

“ओह! तो सात दिनों तक वो वहीँ रहेगी?” मैंने पूछा,

“रहना पड़ेगा” उसने कहा,

“हाँ जी, नहीं तो कंगा देवी धन कैसे देगी?” मैंने कहा,

“क्या???????????????????????” उसकी सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गयी!

“और क्या? क्या साजिश है तेरी! वाह! सुन तेरा वो चमचा ओमू और तेरा वो आदमी बुग्गन, ज़रा पूछ लेना उनसे उनकी सेहत का हाल, बाकी तू आगे जानता ही है!” मैंने कहा,

“तुम्हारी ये हिम्मत? मेरे आश्रम में मुझसे बद्तमीजी? निकल जाओ यहाँ से, नहीं तो धक्के मरवा के निकलवा दूंगा” उसने खड़े होते हुए कहा,

अब तक मै भंजन-मंत्र जागृत कर चुका था! मै खड़ा हुआ और उस पर थूक दिया! थूक पड़ते ही उसके मुंह से ‘आह’ की आवाज़ निकली और वो अपना पेट पकड़ कर बिस्तर पर लेट गया! दुल्लर हो गया! फिर मुंह से खून बह निकला! नाक से भी खून बहने लगा! वो कराहता रहा, अपने रक्त के घूँट गटक रहा था लगातार! उसका सफ़ेद बिस्तर जगह जगह लाल हो गया खून से! उसके कलेजा बिंध गया था! उसने अपने दोनों हाथ किसी तरह से जोड़े क्षमा की मुद्रा में! आंख्ने उसकी फटने को थीं, बाहर आ गयी थीं! मैंने भंजन-मंत्र वापिस कर लिया! किसी मृत शरीर की तरह धम्म से गिर गया बिस्तर पर!

“उम्मीद है तुझे तेरी गलती का एहसास हो गया होगा! मै चाहता तो तेरी जान ले लेता! तेरी रूह से दासता करवाता उम्र भर! परन्तु तुझे छोड़ रहा हूँ, ताकि भविष्य में कभी ऐसा जघन्य कार्य ना करे!” मैंने कहा,

उसने हाथ जोड़े और गर्दन हिलाई!


   
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श्रीशः उपदंडक
(@1008)
Member Admin
Joined: 8 months ago
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Topic starter  

“जो मै समझाना चाहता था, समझा दिया, आगे से मेरे सामने कभी आ गया तो तू अपने इस मानव-जन्म से घृणा करेगा अपने मरने तक!” मैंने कहा,

उसके पास कोई विद्या नहीं थी सो खाली करने से लाभ नहीं था!

“चलिए अब यहाँ से” मैंने शर्मा जी और सुरेश से कहा,

वो बिस्तर पर पड़ा पड़ा आंसू बहा रहा था! मौत से अभी साक्षात्कार हुआ था उसका!

उसके बाद हम वहाँ से वापिस आ गए!

आज नुपुर बिलकुल ठीक है, उसका ब्याह भी हो गया है, ब्याह में मै और शर्मा जी भी सम्मिलित हुए थे! ओमू भी आया था! आज ओमू फल का काम करता है वहीँ! जोगीराज को फिर वहाँ कभी नहीं देखा गया!

सुरेश आज भी मेरे पास आते रहते हैं मिलने!

----------------------------------साधुवाद---------------------------------

 


   
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