मंद-बुद्धि एक अलग मानसिक विकार है, और मस्तिष्क का छोटा होना या आकार में अल्प-विकसित होना, ये जैविक-विकार है, जैविक-विकार का उपचार, आज के मेडिकल-साइंस के पास नहीं है, परन्तु इसके लिए आपको एक प्रयोग बताता हूँ, आप उन्हें, जो पीड़ित हैं, सेवन करवाएं, लाभ होगा!
सौ ग्राम, कपिला गाय का शुद्ध देसी घी,
बीस ग्राम, कीकर की गोंद,
दस ग्राम, कलौंजी,
सिंगाड़ा मछली का श्वेत-पाषाण(मणि, उपलब्ध है) दो नग,
सौली मछली की चर्बी, दस ग्राम,
इन सभी को, मिलाना है, कीकर की गोंद को भून कर, उसमे डालना है, बर्तन कांस्य का होना चाहिए, अड़तालीस घंटे तक, ये सब, बाँध कर रख दें, धूप में, रात्रि में, छत के नीचे रखना है! औषधि, तैयार है!
तीन माह तक, एक एक ऊँगली पर ये सब लगा, रोगी बालक/बालिका को चटायें दिन में दो बार! एक माह में स्वयं लाभ देखें!
एक बात और, श्वेत-मीन-पाषाण का, सौली मछली की चर्बी का अन्य कोई विकल्प नहीं है!
