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बुध देव (ग्रह)

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श्रीशः उपदंडक
(@1008)
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बुध नपुंसक-संज्ञक ग्रह हैं, भाव, युति, दृष्टि और योग के कारण फल देते हैं, बुध यदि ग्यारह अंशों से नीचे हों, तो कोई भी फल, प्रभावी होता है, बारह से, इक्कीस था, भविष्य में फल मिलता है, बाइस से तेईस तक, वृद्धावस्था में फल देते हैं! बुध कहीं भी हों, ये अशुभ फल नहीं देते, राहू, केतु, मंगल, शनि, शुक्र से मित्रवत रहते हैं, चन्द्र से गुप्त शत्रुता रखते हैं!
यदि बुध दोषकारक हो, यद्यपि ऐसा नहीं होता, तो निम्न उपाय कीजिये! लाभ होगा! मोर-पंखी पौधे को निरंतर, इक्कीस दिवस तक, कच्चे दूध की पांच बूँदें, ताज़ा जल में मिलाकर, उसकी जड़ों में चढ़ाएं, मंत्र बोलें,
ॐ सः सः सः सः सः श्री बुध'आये मम कल्याणम कुरु कुरु हुम्म फट्ट!

रोज, पांच बार,
बुध से संबंधित दोष दूर हो जाएंगे! परन्तु, पहले, बुध की स्थिति अवश्य ही देख लें कुंडली में, विशेषकर, नवमांश में!


   
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