कभी-कभार क्या होता है कि, ज़ख्म बढ़ने लगता है, या सड़ने लगता है, अक्सर वयोवृद्ध के लिए ये अत्यंत ही कष्टकारी स्थिति होती है, आपने टिटनेस, सेप्टिक तो सुना ही होगा, ये बहुत खतरनाक रोग है, इस में गैंगरीन हो जाता है, ये यदि हड्डी में पकड़ बना ले, तो उस अंग को काटना ही पड़ता है, अन्य कोई विकल्प नहीं!
मैं आपको एक ऐसा अकाट्य प्रयोग बताता हूँ जिसका असर आप, मात्र अड़तालीस घंटों में ही देख लेंगे! कोई रुपया-धेला इतना खर्च नहीं करना कि जेब ही फटने लगे! आपको करण अक्या है, आप एक कच्चा पपीता ले आएं, इसको कद्दूकस कर लें, इसका अर्क निचोड़ लें, कपड़छन कर लें, उस ज़ख्म पर, दिन में चार बार, इसका वो पानी डालें! ज़ख्म यदि गहरा हो, तो आप इसका कद्दूकस किया हुआ गूदा उस ज़ख्म पर मरहम की तरह से लगा दें! ठीक होने तक ऐसा करें! ऐसा कोई ज़ख्म नहीं, जिसकी ये काट न हो! अब कोई भी पीड़ित हो, तुरंत बताएं!
ये तो हुआ आयुर्वेद, अब एक तांत्रिक उपाय!
पीड़ित व्यक्ति से, एक आटे के पेड़े के, पिंडी की, बारह गोलियां बनवा लें, आटे में, गुड का पानी ज़रूर डलवाएं! वो बन दे, तो एक ऐसे स्थान पर चले जाएँ जहां मूषकों का वास हो! चूहों का! अब चाहे वो घूस ही हो, कोई बात नहीं! ऐसा, दिन में एक बार करें, सूरज निकलने के फ़ौरन बाद ही! ऐसा सात दिन करें! शरीर की सारी व्याधि दूर हो जायेगी! जब पीड़ित ठीक हो जाए, तो सवा किलो लड्डू, मोतीचूर के, बाँट दें!
एक मंत्र बोले, न बोल सकें तो कोई बात नहीं! मन्त्र है-
खम्म खम्म हुम्म हुम्म मूषकराजये हुम्म फट्ट!
ग्यारह बार!
मूषकराज, समस्त रोगों का क्षरण करते हैं!
जय श्री भैरव नाथ!