ये रूप में, अत्यंत ही सुंदर!
ये देह में, साक्षात रति समान!
रंग इसका, श्वेत-रक्तिम,
और वेश में, आभूषण धारण किये हुए रहती है!
इसकी सिद्धि, मात्र तेरह रात्रिकाल की है!
कोई भी सूखा कुआँ हो,
उस कुँए पर, एक रात पहले, संध्या समय,
ग्यारह बताशे ले जाइए,
और एक एक बताशा, माथे से लगाकर, इसमें डालते जाइए!
अब हाथ जोड़ लिए, और एक मंत्र पढ़िए, एक बार केवल!
ठः ठः ठः ठः ठः श्री कूप-मंडिके, मम कल्याणम कुरु कुरु हुम् फट्ट!
यदि, नौकरी न लगती हो,
लग कर छूट जाती हो,
लगी तो हो, लेकिन आय न हो, या अटक के आती हो,
या, नौकरी जाने का भय हो,
पद्दोन्नति के अवसर न मिल रहे हों,
अथवा, विवशतावश ही नौकरी की जा रही हो,
तो वे लोग, इस बताशे वाले प्रयोग को करने के तीन दिन बाद,
घर का, एक चुटकी आटा और एक चुटकी नमक,
उलटे हाथ से, इस कुँए में डाल दीजिये!
सात दिन में लाभ होगा!
अब वे दम्पत्ति, जिनके संतान न होती हो,
वे बताशे वाला प्रयोग करें,
और, हाँ, पति-पत्नी दोनों ही,
तीन दिन के बाद, अपना एक एक अंतःवस्त्र इस कुँए में डाल दें!
गर्भ धारण हो जायेगा!
अब चाहे, विज्ञान कुछ भी कहता हो!
बस पुरुष पूर्ण हो, और स्त्री को मासिक आता हो!
अब वे लोग,
जो दुःसाध्य रोग से पीड़ित हों,
वे बताशे वाले प्रयोग के बाद,
तीन दिन बाद, रोगी के सर से ग्यारह बार उतारा हुआ कोई भी अन्न,
इस कुँए में डाल दें, रोग तत्क्षण से कटने लगेगा!
वे विद्यार्थी, जो अपने आप को अक्षम मानते हों,
बताशे वाला प्रयोग करने के तीन दिन बाद,
एक सरकंडे की कलम बनाएं,
स्याही में डुबो, किसी भी वृक्ष पर, अपना नाम लिखें,
और कुँए में डाल आएं!
अक्षमता, सक्षमता में बदल जायेगी!
कन्या का विवाह न होता हो,
तो कन्या ये प्रयोग करें,
तीन दिन बाद, एक सिन्दूर की डिबिया, कुँए में डाल दे,
चौदह दिन में ही, ऐच्छिक वर प्राप्त होगा!
जो मुक़द्दमे आदि से परेशान हों,
वे ये प्रयोग करें,
तीन दिन बाद,
नौ सिक्के, एक एक रुपये के, कुँए में डाल दें,
पूर्ण लाभ होगा!
और जब, ऐच्छिक कार्य पूर्ण हो जाए,
तो एक कन्या का श्रृंगार, किसी निर्धन कन्या को दे दें!
जैसे, वस्त्रादि, चांदी की बालियां, अंगूठी, बिछुए, आदि आदि!
विद्यार्थी, मात्र एक संध्या, बाजरे की रोटी, खिचड़ी आदि का सेवन करें!
कूप-प्रवंगा प्रसन्न हो जाएंगी!
ये आसुरिक महाशक्ति हैं!
अत्यंत ही विनम्र हैं!
क्रोधहीन हैं!
और, परम सहायक हैं!
