कारण- भारी शरीर, वसा की अधिकता, धूम्रपान, अत्याधिक मद्यपान, अधिक वसायुक्त भोजन, अधिक वसायुक्त सामिष भोजन, आलसपूर्ण जीव-चर्या, नमक की अधिकता, चिंता, आनुवांशिकता,सोडियम युक्त भोजन अथवा नमकीन आदि का सेवन करने से उच्च-रक्तचाप का रोग उत्पन्न होता है!
अधिक बढ़ने से, हृदयाघात का खतरा बना रहता है, या हृदय से संबंधित कोई भी रोग हो सकता है, यदि शरीर में थकावट लगे, पसीने अचानक से छूटने लगें, हृदय-गति अचानक से बढ़ जाए, चक्कर आएं, घबराहट हो, बेचैनी लगे, हाथ और पांवों में पसीने आ जाएँ तो उच्च-रक्तचाप का परीक्षण आवश्यक हो जाता है! इस रोग को, साइलेंट-किलर कहा जाता है, अतः उच्च-रक्तचाप को सामान्य बनाये रखने के लिए, कुछ ये घरेलू उपचार अपनाइये!
उपचार-
१. लहसुन, इसकी दो या तीन कलियाँ, सुबह सुबह, बासी मुंह पानी के साथ निगल जाएँ, अथवा नाश्ते से पहले, इनको चबाकर, पानी पी लें, चार हफ्तों में, अचूक लाभ होगा!
२. आंवले का रस, एक चम्मच निकाल लें, इसमें, एक चम्मच ही शहद मिला दें, चार हफ्ते सुबह सुबह सेवन करें!
३. तरबूज के सूखे बीज ले लें, एक चम्मच, इनको पानी में डाल, भिगो दें, सुबह इसको बासी मुंह चबा जाएँ, दो हफ्तों में ही, लाभ होगा!
४. बैंगन, के चार हिस्से कर लें, एक जग में, पानी भर कर, इसको फ्रिज में रख दें, जब भी प्यास लगे, ये पानी ही पियें! लाभ होगा!
५. रात को दो आलू उबाल लें, सुबह, नाश्ते से पहले इन्हें खा जाएँ! लाभ होगा! ऐसा एक माह कम से कम करें!
६. एक चम्मच शहद और एक छोटा चम्मच लहसुन का अर्क, किसी कटोरी में मिला लें, अब भुने हुए ज़ीरे का एक चुटकी चूर्ण मिला लें, पी जाएँ, माह भर करें! लाभ होगा!
७. अर्जुन वृक्ष की छाल का चूर्ण ले लें, गुनगुने पानी में, एक चम्मच डाल लें, चाय सी बना लें, रोज पिए, लाभ होगा!
नित्य व्यायाम करें, वसायुक्त भोजन कम कर दें! इस रोग पर, निश्चित ही नियंत्रण हो जाएगा!
